बांसडीह (बलिया) से रविशंकर पांडेय
एक तरफ कोरोना से निजात नहीं मिल ही तो दूसरी तरफ लगातार बारिश की वजह से नदियों के जलस्तर में अनवरत वृद्धि जारी है. वहीं घाघरा नदी भी उफान पर चल रही है. पहले तो सरयू (घाघरा) ने किसानों के उपजाऊ खेत को अपने आगोश में ले लिया. अब किसानों के लिए संकट गहरा गया है. उसके बाद अब गांवों की तरफ नदी ने रुख कर लिया है. ऐसे में इलाका के लोगों में दहशत व्याप्त है. इतना ही नहीं, अब घाघरा का पानी बाँसडीह नगरपंचायत के आस-पास के गांवों तक आ चुका है.
शनिवार की सुबह आठ बजे घाघरा के डीएसपी हेड पर 64. 470 मापा गया. उच्चत्तम बाढ़ 66.00 है, जब कि खतरा बिंदु 64.01 मापदंड है. जबकि शाम चार बजे डीएसपी हेड पर 64.580 बढ़ाव पर मापा गया.
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बताया जाता है कि हजारों एकड़ उपजाऊ भूमि नदी में समाहित हो चुकी है. अब गांवों में पानी पहुंचने से लोगों में दहशत है. फसलों की बात की जाए तो मक्का के खेत भी नदी में विलीन हो चुके हैं. धान के खेत किसानों ने तैयार किया था, वह भी सरयू नदी ने नहीं छोड़ा. कुछ खेतों में धान की रोपाई भी हो चुकी थी. किसान उम्मीद लगा रखे थे कि इतना भी बच जाएगा तो घर परिवार के भोजन करने लायक चावल पैदा हो जाएगा. उसे भी सरयू नदी ने नहीं बख्शा. उधर, टीएस बंधे की स्थिति भी उतनी अच्छी नहीं है. सुल्तानपुर जयनगर के बीच मे टीएस बंधे में हल्का हल्का पानी भी रिसाव कर रहा हैं. पिछले वर्षों में भी टीएस बंधे टूटने की वजह से पानी गाँवों में घुस गया था.