कविता में जरूरी है रचनात्मक तटस्थता: यशवंत सिंह

दो नवोदित युवा कवियों आशीष त्रिवेदी और श्वेतांक सिंह के कविताओं पर परिचर्चा

बलिया: भैरव प्रसाद गुप्त साहित्यिक मंच के नियमित हस्ताक्षर कार्यक्रम की पहली कड़ी के तहत जनपद के दो नवोदित युवा कवियों आशीष त्रिवेदी और श्वेतांक सिंह के कविताओं पर पाठ एवं उस पर परिचर्चा संपन्न हुई.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर यसवंत सिंह ने कहा कि हम एक संवेदनहीन समाज में जी रहे हैं जिसमें मानवीय मूल्य लगातार ध्वस्त हो रहे हैं. ऐसे में दो युवा रचनाकारों का कविता के जरिये उन मूल्यों के लिए खड़ा होना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है. सिंह ने कहा कि कविता में रचनात्मक तटस्थता जरूरी है और तटस्थता रचनात्मक प्रहार के लिए आवश्यक मोर्चाबंदी भी है.

उन्होंने कहा कि श्वेतांक की रचनाएं वैचारिक प्रतिबद्धता के बावजूद तुलनात्मक रूप से ज्यादा तटस्थ लगती है. आशीष त्रिवेदी की रचनाओं में अपेक्षित साहस की अधिकता है और प्रहार मूलक अधिक है, जो आज की बड़ी जरूरत है. दोनों में रचनात्मक विवेक मौजूद है. अपेक्षित संवेदनाएं चरम पर हैं. दोनों में हिंदी कविता के सशक्त हस्ताक्षर होने की सारी संभावनाएं मौजूद हैं.

कार्यक्रम की शुरुआत में आमंत्रित कवियों ने अपने आत्मकथ्यों से की. श्वेतांक ने कहा कि साहित्य को सर्वाधिक रचनात्मक, संवेदनशील और सर्वकालिक प्रतिपक्ष मानता हूं. उन्होंने “बापू को आज भी देख सकते हो”, हिंदी में हस्ताक्षर, कुदाल, चुनाव, समझना होगा, खिड़की से कलकाता, एक दिवाली दिन में थी, शायद, इसलिए मैं कवि हूं, ऐसा क्यों, शब्द आदि कविताओं का पाठ किया.

कार्यक्रम के दूसरे आमंत्रित कवि एवं रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने शुरू में अपने आत्म कथ्य में कहा कि कविता आदमी होने की तमीज सिखाती है. कविता का जीवन में होना इंसानियत को बचाए रखना है. उन्होंने सांवली लड़की, यत्र तत्र सर्वत्र, साहेब, गांव की यादें, आत्महत्या, जंगल आदि 11 कविताओं का पाठ किया.

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काव्य पाठ के बाद दोनों कवियों की रचनाओं पर केंद्रित परिचर्चा में डॉ जैनेंद्र पांडे ने पाश्चात्य एवं भारतीय काव्यशास्त्र की चर्चा करते हुए दोनों को एक संभावनाशील कवि बताया. उन्होंने कहा कि भाषा, रस, छंद, अलंकार से पहले कविता में कथ्य का स्पष्ट होना जरूरी है. इस आधार पर इनकी कविताएं श्रोताओं और पाठकों का ध्यान आकृष्ट करती हैं.

ऑल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन के नेता केएन उपाध्याय ने कहा कि दोनों कवियों की कविताओं के कंटेंट आज के परिवेश की बड़ी आवश्यकता है. एडवोकेट रणजीत सिंह, डा. कादम्बिनी सिंह, संजय मौर्य, फतेह चंद बेचैन ने भी अपनी बातें रखीं.

युवा गायक शैलेंद्र मिश्र और पीएन तिवारी ने जनवादी गीत प्रस्तुत किए. इस अवसर पर सोनी, ट्विंकल गुप्ता, आनन्द कुमार चौहान, अखिलेश, अर्जुन, गोविंदा इत्यादि लोग उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार अजय कुमार पांडेय ने किया.

ज्ञात हो कि भैरव प्रसाद गुप्त साहित्यिक मंच द्वारा हस्ताक्षर कार्यक्रम के तहत हर माह के दूसरे रविवार को दो कवियों का कविता पाठ और उन पर केंद्रित परिचर्चा होगी. इन कविताओं का संकलन कर एक पुस्तक भी निकालने की योजना है.

मंच के नियमित हस्ताक्षर कार्यक्रम की पहली कड़ी के तहत जनपद के दो नवोदित युवा कवियों आशीष त्रिवेदी और श्वेतांक सिंह के कविता पाठ और उस पर परिचर्चा संपन्न हुई.