करि के गवनवाँ भवनवाँ में छोड़ि के, अपने परइलऽ पुरुबवा बलमुआँ…

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भिखारी ठाकुर बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे. वह एक लोक कलाकार के साथ कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे. उनकी मातृभाषा भोजपुरी थी और उन्होंने भोजपुरी को ही अपने काव्य और नाटक की भाषा बनाया. उनकी प्रतिभा का आलम यह था कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने उनको ‘अनगढ़ हीरा’ कहा, तो जगदीशचंद्र माथुर ने कहा ‘भरत मुनि की परंपरा का कलाकार’. भोजपुरी के लोकचितेरा कवि, नाटककार, समाज सुधारक भिखारी ठाकुर की पुण्यतिथि पर बलिया लाइव की विशेष प्रस्तुति

लोक संस्कृति के वाहक कवि व भोजपुरी के शेक्सपियर माने जाने जाने वाले भिखारी ठाकुर की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि, लेकिन क्या कोई यकीन कर सकता है कि भक्तिकालीन कवियों व रीति कालीन कवियों के संधि स्थल पर कैथी लिपि में कलम चलाकर फिर रामलीला, कृष्णलीला, विदेशिया, बेटी-बेचवा, गबरघिचोरहा, गीति नाट्य को अभिनीत करने वाले लोक कवि भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर का परिवार चीथड़ों में जी रहा हो….. संबंधित खबरों को विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक या टैप करें.


चीथड़ों में गुजर बसर कर रहे हैं  भिखारी ठाकुर के परिजन

भोजपुरी लोकधुन लहरों के राजहंस भिखारी ठाकुर


साहित्य के पुरोधा के गांव को तारणहार का इंतजार