बलिया। समाजवाद के महा नायक छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र की 86 वीं जयन्ती मनाई गई. इस अवसर पर सबसे पहले जनेश्वर उपवन ज़ीराबस्ती स्थित मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया. उसके बाद समाजवादी पार्टी कार्यालय पर कार्यक्रम आयोजित हुआ. जिसने वक्ताओ ने स्व. जनेश्वर मिश्र के विचार पर प्रकाश डाला और कहा की जनेश्वर जी समाज के अन्तिम ब्यक्ति की ख़ुशहाली के लिए हमेशा आवाज़ बुलन्द किए. इस अवसर पर गोरख पासवान, संजय उपाध्याय, द्विजेंद्र मिश्रा, अजय यादव, प्रदीप गुप्ता, राकेश यादव आदि ने विचार ब्यक्त किया. कार्यक्रम का संचलन पार्टी के प्रवक्ता सुशील पाण्डेय कान्हजी ने किया.
छोटे लोहिया के गांव पर भी मनायी गयी जयन्ती
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बैरिया छोटे लोहिया स्व. जनेश्वर मिश्र कि जयंती उनके पैतृक गांव शुभनथहीं में मनाई गयी. इस मौके पर गांव भर से दर्जनों लोग उनके पैतृक आवास पर पहुँचकर उनके चित्र पर माल्यार्पण किए. इस मौके पर बोलते हुए छोटे लोहिया के सहपाठी पूर्व प्राचार्य बैकुंठ मिश्र ने कहा कि बचपन से ही वे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने लगे थे. दुबेछपरा पढ़ने जाने के क्रम में एक पगडंडी रास्ता पड़ता था. जो दयाछपरा से दुबेछपरा जाता था. उस रास्ते को खेत का मालिक हमेसा बंद कर देता था. जनेश्वर जी दयाछपरा में रुक कर और छात्रों के आने का इंतजार करते थे. जब संख्या 40 या 50 कि हो जाती थी तो उस पगडंडी रास्ते के दोनों ओर छात्रो से कहते थे ऐसे चलो कि ये रास्ता चौड़ा बन जाय. दुबेछपरा से ही वे छात्र नेता के रूप में चर्चित हो गए थे. वहाँ से जब इलाहाबाद गए तो तब उनकी संघर्ष क्षमता व प्रतिभा में और निखार आ गया. उन्होंने जीवन भर समता मूलक समाज कि स्थापना के लिए संघर्ष किया. वे पक्का समाजवादी थे. उन्होंने समाजवाद को जीवन में उतरा. इस मौके पर पूर्व प्राचार्य उमाशंकर मिश्र ने कहा कि जब वे कैबिनेट मंत्री थे तब या नही थे तब हमेशा वे एक सा रहे. गांव में जब वे आते थे तब बड़े बड़े अधिकारी आते थे. परन्तु ऐसा नही कि गांव के लोग नीचे बैठेंगे और अधिकारी कुर्सी पर. गांव का अदना सा ब्यक्ति भी उनके पास उतना ही सम्मान पाता था जितना कोई बड़ा अधिकारी या नेता. आज राजनीति में दूर दूर तक वो बात देखने को नही मिलती हैं. इस मौके छोटे लोहिया स्व जनेश्वर मिश्र के गांव के दर्जन भर लोंगो ने उनसे जुड़े संस्मरण को सुनाया. जयंती के मौके पर मुख्य रूप से अवध बिहारी ओझा, ओमप्रकाश यादव लालू, भोला मिश्र, राजेश मिश्र, अशोक मिश्र, शिवजी मिश्र, किताबूदीन, शिवकुमार बर्मा, तारा चन्द शर्मा, कौशल मिश्र आदि मौजूद थे.