चंदन के पेड़ों को काटने की कोशिश करने वालों के गिरफ्तारी के प्रति पुलिस जरा भी गम्भीर नहीं

सिकंदरपुर(बलिया)। थाना क्षेत्र के कठौड़ा स्थित जंगलीबाबा धाम से चन्दन के पेड़ों की कटाई करने वाले चोरों का घटना के दूसरे दिन भी कुछ पता नहीं चल सका. पता लगने की बात तो दूर मन्दिर पर सामान्य जानकारी हासिल करने तक के लिए पुलिस नहीं पहुंची. लोगों में आक्रोश इस बात को लेकर है कि घटना की सूचना के बाद पुलिस रश्मअदायगी के लिए पहुंची तो जरूर लेकिन उसके बाद उसकी कोई ऐसी गतिविधियां नजर नहीं आयी जैसे पुलिस गम्भीर हो. न घटना स्थल का निरीक्षण किया गया और न ही इस इलाके में गस्त ही चालू हुआ. लोगों का कहना है कि अगर पुलिस सक्रिय रहती तो इस तरह की घटना की नौबत ही नहीं आती.

बल्कि ग्रामीण आरोप जड़ रहे है कि पुलिस की लापरवाही व मिलीभगत से क्षेत्र में पेड़ों की कटाई हो रही है. ऐसे में अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है और अब मंदिर भी उनकी नजरों से वंचित नहीं है.

कठौड़ा गांव में स्थित जंगली बाबा मंदिर पर शुक्रवार की रात्रि में चोरों ने लाखों रुपए के चंदन के पेड़ को काट कर ले जाने का प्रयास किया. बताया कि इस मंदिर के प्रांगण में सैकड़ो पेड़ हैं. जिसके देखभाल व रक्षा की जिम्मेदारी मात्र एक साधु पर है. मन्दिर पर रह रहे साधु ने बताया कि घटना के दिन ही सूचना देने पर पुलिस आई थी. उसके बाद कोई भी कुछ पता करने नही आया, और ना ही चोरों को पकड़ने का प्रयास किया जा रहा है. जबकि बिना स्थानीय लोगो की मिली भगत से इतने बड़ी घटना को अंजाम नही दिया जा सकता.गांव के लोगों की जागरूकता से जंगली बाबा स्थित मंदिर पर चंदन के पेड़ चोरी होने से बचाया जा सका. मौके पर गांव के लोग नहीं पहुंचते तो चोर इन चंदन के पेड़ों को रात में काटकर बिहार लेकर चले जाते.

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कठौड़ा पुलिस चौकी को पुनर्जीवित करने की मांग

ग्रामीणों ने कठौड़ा में पुलिस चौकी फिर से चालू करने की भी मांग की है. बताया कठौड़ा में पहले पुलिस चौकी थी. जो अब विगत एक दशक से थाने से ही संचालित होती है.

जिला पंचायत सदस्य अनन्त मिश्रा ने कहा कि घाघरा नदी के किनारे के गांवों की सुरक्षा के लिए कठौड़ा निवासी तत्कालीन प्रदेश सरकार में मंत्री रहे जगन्नाथ चौधरी द्वारा 1985 में कठौड़ा चौकी की स्थापना कराई गई थी. जो वर्ष 2000 तक तो चली. जिसमे एक सब इंस्पेक्टर, एक दीवान व पांच कांस्टेबल 24 घण्टे उपलब्ध रहते थे. लेकिन पता नही किस कारण 2000 के बाद से इस चौकी की सभी व्यवस्था थाने पर ही कर दिया गया. उन्होंने पुलिस चौकी का संचालन कठौड़ा से करने की मांग किया है.

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