बैरिया(बलिया)। इस बार के मुहर्रम पर भरतछपरा, रानीगंज चौक, भीखाछपरा व रानीगंज के ताजियेदार अपना ताजिया अपने निर्धारित चौक से नहीं उठाए. बल्कि प्रतीक के तौर पर चौक से मिट्टी ले जाकर कर्बला में दफन किए.
ऐसा उक्त समुदाय के ताजियेदारों ने रात मे आपस में मिलान न हो पाने के बाद निर्णय लिया. इसकी वजह, रास्ते में जगह-जगह पूजा पाण्डाल व उसकी सजावट होने के वजह से होना बताया. कर्बला के पास लगने वाला मेला भी इस बार नहीं लगा.
पिछले वर्ष भी ऐसी ही स्थिति बनी थी कि मूर्ति विसर्जन व मुहर्रम का ताजिया एक ही दिन पड़ा था. लेकिन तब पाण्डाल अपने जगह पर स्थिर रहे, सजावटें रात में होने वाले मिलान से एक घण्टे पूर्व हटा लिया गया था. समय से मिलान हुआ था. फिर ताजियेदारों से वार्ता के बाद तय कर लिया गया था कि दोपहर एक बजे से ताजिया जुलूस निकल कर सायं चार बजे तक कर्बला पहुंच कर वहां से लौट आवें और फिर चार बजे से मूर्ति विसर्जन जुलूस निकले. तब सब कुछ शान्तिपूर्ण सम्पन्न हुआ था. बल्कि पूजा पाण्डालों के पास से ताजिया गुजरते समय खुद पूजा समिति के लोग भी तत्परता दिखाते हुये ताजिया सुरक्षित निकलवा कर दोनो समुदायों के लोग दोनो पर्व मिल जुल कर मनाए.
यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.
इस बार भी बैरिया थाने में तीन बैठकें हुई. लेकिन सार्थक पहल का अभाव रहा. ताजियेदारों का कहना था कि जब शनिवार की रात को तजियादारो का मिलान नही हुआ. फिर चारों तजियादार मिट्टी दफनाने कर्बला तजिया नही ले जाने का फैसला किए है. यद्यपि कि पूजा समितियों के लोगों ने कहा कि अगर वह लोग ताजिया लेकर आते तो हम लोग पिछले साल की ही तरह इस साल भी उनका सहयोग करते हुए ताजिया सुरक्षित आगे तक पहुंचाने में हाथ बंटाने के लिये तैयार थे. जबकि ताजियेदारों का आरोप था कि रात में रास्तों से झालर, गेट, तिरपाल व सजावट हटाया ही नहीं गया. जिसके चलते रात में मिलान नहीं हो पाया. ऐसे में हम लोग कर्बला तक सिर्फ़ मिट्टी ही ले जाने का निर्णय लिए हैं. इस बाबत एसएचओ अतुल कुमार राय ने कहा कि चारों तजियादार कल दिन में ही आकर लिखित दिए है कि हम अपना तजिया नही ले जाएंगे. बल्कि तजिया चौक का मिट्टी लेजाकर दफ़नाएँगे, और ऐसा ही किए भी. इस बार रानीगंज व आसपास एक अजीब सी गम्भीर खामोशी महसूस की जा रही है.
अकीदत से मनाया गया मातमी पर्व मुहर्रम
बैरिया कस्बे में मुहर्रम का त्यौहार अकीदत से मनाया गया. पुलिस व प्रशासन के मुस्तैदी के चलते पूर्व की भांति इस वर्ष भी कही कोई अप्रिय घटना नही हुई. चांदपुर, सोनबरसा, बैरिया सहित दर्जनों गांवों को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ताजिया जुलूस निकाला. जिसमें बड़ी संख्या में हिंदुओं ने भी भागीदारी की. ताजिया जुलूसों के साथ चलने वाले युवकों ने तरह तरह के करतब दिखाए. बैरिया क्षेत्र के ताजियों को पांडेय जी के शिवाला के बगल में स्थित मैदान में मिलान कराया गया. उसके बाद एनएच 31 के किनारे पश्चिम टोला के निकट कई कर्बला में दफन किया गया.