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आशीष दूबे, बलिया
बलिया. आज है हरितालिका तीज और पति की लम्बी उम्र, सुख-समृद्धि के लिए विवाहिताएं तीज का निर्जला व्रत कर रही हैं। व्रत के दिन आज शुक्रवार को शहर के चौक बाजार स्थित मीना बाजार में सौंदर्य प्रसाधन के सामानों की खरीदारी के लिए महिलाओं की भीड़ लगी रही.
मान्यता के अनुसार इस दिन शिव-पार्वती का पूजन और और मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री चढ़ाने का विधान है. दूसरी ओर तीज व्रत में महिलाओं का 16 श्रृंगार कर पूजन और सजने-संवरने की भी प्राचीन परंपरा है. बदलते परिवेश में हाथों पर विभिन्न डिजाइनों में मेहंदी चढ़ाने का प्रचलन और ब्यूटी पार्लर में मेकअप आदि कराने का प्रचलन तेजी से बढ़ गया है.
मीना बाजार के गेट पर काफी संख्या में महिलाएं हाथों पर विभिन्न डिजाइनों में मेहंदी रचाती नजर आयी, वहीं ब्यूटी पार्लर में भी लम्बी लाइन दिखी.
हल्दी थाना क्षेत्र के अगरौली निवासी पंडित हरेराम पांडेय ने हरितालिका तीज व्रत के महत्व के बारे में बताया कि भादो महीना के शुक्ल पक्ष तृतीया को हस्त नक्षत्र में हरितालिका तीज का व्रत रखने का विधान है. यह तिथि इस बार छह सितम्बर यानि शुक्रवार है.
पंडित हरेराम पांडेय ने बताया कि इस व्रत को कन्याओं के नियम पूर्वक करने से मनोवांछित वर मिलता है तथा सौभाग्यवती महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि निर्जला व्रत रखने के बाद महिलाओं को मां पार्वती को सुहाग सामग्री तथा भगवान शंकर को वस्त्रत्त् में धोती और अंगोछा चढ़ाकर पूजन करने की परम्परा है.
व्रती महिलाओं ने शाम को शिव-पार्वती की पूजा की और कथा सुनी। शहर के प्रमुख शिवमंदिरों में इस मौके पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही।
व्रत के अगले दिन माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाकर और उन्हें मीठे का भोग लगाकर प्रसाद और सुहाग सामग्री किसी सुहागन स्त्री को देकर अपना व्रत पूर्ण करना चाहिए. मान्यता है कि इस व्रत को विधि पूर्वक करने से महिलाओं को मां पार्वती के समान शिवलोक की प्राप्ति होती है.
पंडित हरेराम पांडेय ने बताया कि हरितालिका तीज व्रत पूर्णता निर्जला रखा जाता है. व्रत में पूजन के लिए सुबह का समय सबसे शुभ है, किसी कारण से सुबह का पूजा संभव नहीं हुआ तो सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में पूजन करना चाहिए. बताया कि व्रती को शयन निषेध बताया गया है. व्रत रखी महिलाओं को रात्रि जागरण करते हुए तीन बार आरती करनी चाहिए.
सुखी दाम्पत्य को शिवलिंग पर बांधे फुलेहरा
पंडित हरेराम पांडेय ने बताया कि तीज व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन शिवलिंग पर फूलेहरा (फूलों का जाल) बांधने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और उनकी पूजा पूर्ण होती है. साथ ही वैवाहिक जीवन का क्लेश दूर होता है और भगवान शिव की कृपा से दांपत्य जीवन की सभी बाधाएं दूर होती है और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है.
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