पारंपरिक होली गीतों पर खूब झूमे श्रोता..

गायक योगेंद्र यादव ने अपनी निर्गुण गीत-“नइहर नगरिया सपन होई जईहे..एवं “ललकी चदरिया ओढ़िके जाए के परी..सुनाकर माहौल को गमगीन बना दिया. वहीं विजय पाठक व्यास ने अपनी लोकगीत-“कबहूं हमार याद आवेला की ना..और पारंपरिक होली गीत-“डमरु बजावे-नंदी नचावे, शिव-सती खेले फाग..एवं “कन्हैया बहिया पकड़के धइ लेले अंगुरी के पोर..सुनाकर लोगों को खूब झूमाया.