निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा

सत्य, प्रेम, करुणा, दया व सहयोग की दैवी राह पर चलने से ही ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है. चालाकी, होशियारी, छल, कपट और बदले की राह पर दुख और दर्द ही मिलते हैं. यह बातें जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी मारुति किंकर जी महाराज ने कही. वह संत यतिनाथ मंदिर परिसर में चल रहे पांच दिवसीय हनुमान जयंती समारोह के अंतिम दिन मंगलवार की रात प्रवचन कर रहे थे.