‘जिद पे अड़ना, हित में लड़ना बलियाटिक पहचान है’

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बलिया जिले को बलिया राष्ट्र कहते थे. उन्होंने कहा था कि एक राष्ट्र के अपनी भाषा, संस्कृति, भोजन, भू-भाग होता है.

माई बिसरी, बाबू बिसरी, पंचकोशवा के लिट्टी-चोखा नाहीं बिसरी

बकौल विजय बहादुर सिंह “इसी भोजपुरी लिट्टी पर कवि नागार्जुन ने एक भरी पूरी और महत्वपूर्ण कविता ही लिख डाली है. कविता में लालू यादव जो उस वक्त बिहार के मुख्यमंत्री थे, एक अमेरिकन डेलीगेशन को लिट्टी-चोखा की दावत देते हैं और वह डेलीगेशन उसके स्वाद पर रीझ उठता है.

लिट्टी-चोखा-हॉलीवुड अभिनेत्री मैंडी मूर भी हैं दिवानी

पहले अभावग्रस्त पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार के गरीब लोगों का मुख्य भोजन अब बड़े लोगों का शाही भोजन बन गया है. अब यह भोजन बड़ी – बड़ी पार्टियों का मुख्य डिश बन गया है. इसके साथ ही अब इस व्यंजन का स्वाद विदेशी लोगों को भी खूब भाने लगा है. वे भी लिट्टी चोखा के फैन बनते जा रहे हैं.

पूरे दिन चला अहिल्या दर्शन और जलेबी अर्पण का सिलसिला

बक्सर के अति प्राचीन पंचकोशी मेला शनिवार को प्रारंभ हो गया. पौराणिक मान्यता के अनुसार हनुमान जी की ननिहाल अहिरौली से इसका आगाज हुआ. प्रथम दिन पहले पड़ाव के रुप में श्रद्धालु अहिल्या मंदिर पहुंचे. गंगा स्नान कर सभी ने मंदिर में जल चढ़ाया.

बक्सर का लिट्टी चोखा मेला कल से

पंचकोशी परिक्रमा सह पंचकोश मेला इस माह की उन्नीस तारीख से प्रारंभ हो रहा है. जिसका शुभारंभ शनिवार को अहिरौली से होगा. विश्व विख्यात बक्सर के इस मेले को लोग लिट्टी-चोखा मेला के नाम से जानते हैं. यह मेला अब बक्सर जिले की पहचान बन चुका है. अन्य प्रदेशों और जिलों में बसे लोग इस तिथि को हर दम याद रखते हैं.