दोकटी पुलिस ने भारी मात्रा में शराब बरामद किया

दोकटी पुलिस ने शराब माफिया पर शिकंजा कसते हुए को एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. बुधवार को देर रात दोकटी पुलिस ने एक बोलेरो को रोकने का प्रयास किया तो वे भारी मात्रा में शराब की पेटी बीएसटी बंधा हृदयपुर के पास फेंक कर कोहरे का लाभ उठाकर भाग गए. उन अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है. पुलिस का दावा है कि वह शीघ्र ही पूरे प्रकरण का खुलासा करेंगी.

बाढ व कटान क्षेत्र में गूंजा -होखी ना सुरूज देव सहाय

खास कर बाढ़ व कटान प्रभावित इलाके में आस्था के महापर्व छठ पर रविवार की शाम हर्ष के माहौल में भी व्रती महिलाओं के वेदना के स्वर मे “सुरूज देव होखी ना सहाय” की गूंज रही. मानो सूर्य से अपने परिवार की सुख समृद्धि व आगामी रबी की खेती के लिए याचना कर रही हो.

पहलवानों का जमावड़ा आज मुरारपट्टी में

लालगंज क्षेत्र के मुरारपट्टी में गोवर्धन पूजा के दिन दंगल का आयोजन सोमवार को होना है. इसमें पूर्व बलिया केशरी गोपाल नगर निवासी बिहारी यादव, महाज के छोटे यादव, दतहा निवासी राज कुमार के अलावा गाजीपुर, मऊ व आजमगढ़ के पहलवान भाग लेंगे. इसके मुख्य अतिथि बैरिया विधायक जय प्रकाश अंचल होंगे.

दीपावली पर जय बोलो हनुमान लला की

लालगंज क्षेत्र के मुरारपट्टी गांव में सैकड़ों वर्ष से दीपावली के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है. परम्परा के अनुसार हनुमान जी पूजा कर ग्रामीणों द्वारा जुलूस निकाला गया.

कमलाकर मिश्र जयंती पर सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता

रामनाथ पाठक इंटर कॉलेज, मुरारपट्टी, लालगंज में कमलाकर मिश्र स्मृति संस्थान के तत्वावधान में उनकी 89वीं जयंती के अवसर पर सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया.

बाढ़ शरणालय बने रहने से पठन पाठन में बाधा

बाढ़ के दिनों में रामनाथ पाठक इण्टर कॉलेज मुरारपट्टी को बाढ़ शरणालय बनाया गया था. यहां दर्जनों बाढ़ प्रभावित गांवों के लोग शरण लिए थे.

बाढ़ राहत से क्यों वंचित है करइल क्षेत्र

गंगा और घाघरा के साथ टोंस की बाढ़ से सबसे ज्यादे प्रभावित होता है. सर्वाधिक बाढ़ का कहर गंगा नदी द्वारा भरौली से लेकर ब्यासी, दुबहर, हल्दी, गायघाट, रामगढ़, लालगंज होते हुए मांझी तक बरपाया जाता है.

शिवपुर कपूर दियर का शवदाह गृह भी कटान को भेंट

लालगंज के शिवपुर कपूर दियर में स्थित शवदाह गृह कटान की जद में आऩे की वजह से ढह गया है. शवदाह गृह में दो शेडों में एक का अतापता भी नहीं है, जबकि दूसरा वहीं उलटा पड़ा है. शवदाह गृह के साथ वहीं बना कार्यालय और शौचालय भी अस्त व्यस्त हो गया है.

12 अगस्त 1942, जब छात्रों ने किया क्रांति का शंखनाद

1942 का आंदोलन बलिया में उग्र होता जा रहा था. अंग्रेजों का जुल्म भी बढ़ता जा रहा था. आंदोलन को दबाने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने जिला अधिकारी एवं पुलिस कप्तान को व्यापक अधिकार दे रखे थे.