कौने खोंतवा में लुकइलू आहि रे बालम चिरई…..

मोहम्मद खलील की गायकी की मादकता, मिठास और उस की मांसलता की महक लोगों के मन में अभी भी तारी है. उन की मिसरी सी मीठी और खनकदार आवाज़ आज भी मन में जस की तस बसी बैठी है.