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शिक्षा मंथन 2023 कानपुर में जेएनसीयू के कुलपति प्रोफेसर संजीत कुमार गुप्ता के नेतृत्व में टीम ने की सहभागिता
बलिया. उत्तर प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव एवं प्राध्यापकों के प्रतिनिधि मंडल का एक विशेष सम्मेलन छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर में ‘शिक्षा मंथन 2023’ के नाम से 8 एवं 9 जुलाई को आयोजित हो रही है.
जेएनसीयू के समाज कार्य विभाग ने किया गाँवों में योग शिविर का आयोजन
बलिया. जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता के मार्गदर्शन व निदेशक,शैक्षणिक डॉ. पुष्पा मिश्रा के निर्देशानुसार समाज कार्य विभाग द्वारा ग्रामीण महिलाओं और किशोरियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए जीरा बस्ती, बसंतपुर, भरतपुरा, भीखपुर तथा ब्रम्हाइन गांव में योग शिविर-सह-जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन 20- 25 मई को किया गया.
जेएनसीयू ने क्षय रोगियों को लिया गोद
बलिया. ‘क्षय रोग मुक्त उत्तर प्रदेश’ अभियान के अंतर्गत जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता के मार्गदर्शन व शैक्षणिक निदेशिका डॉ.पुष्पा मिश्रा के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय के समाजकार्य विभाग द्वारा बेरुआरबारी ब्लॉक के अपायल गांव में 2 क्षय रोगियों को गोद लिया गया.
अध्ययन के दौरान विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पूनम देवी ने बच्चों के खेलकूद के विकास पर माता पिता की भूमिका के बारे में कुछ जानकारी स्वयं दी. अध्ययन के अंतर्गत सहायक प्रोफेसर वंदना सिंह यादव ने बच्चों को बताया की स्वस्थ मस्तिष्क में ही स्वस्थ बुद्धि का विकास होता है तथा बच्चे किस प्रकार की वस्तुओं से खेलना पसंद करते हैं और यह भी बताया कि हर मौसम का अलग अलग खेल होता है.
इस टास्क फोर्स में विश्वविद्यालय के फोरम ‘ लिविंग लिजेंड्स ऑफ बलिया’ के सदस्यों में से प्रो रमेश चन्द्र श्रीवास्तव, कुलपति, डाॅ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर, बिहार, प्रो गोपाल नाथ तिवारी, पूर्व प्रोफेसर, आई आई टी, दिल्ली, प्रो आनंद चौधरी, आयुर्वेद संकाय, बी एच यू, निर्भय नारायण सिंह, भारतीय रेल सेवा एवं डाॅ अवनीन्द्र सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर सम्मिलित रहे. जिनके साथ मिलकर कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय ने विश्वविद्यालय के विकास के लिए विचार विमर्श किया.
प्रोफेसर कल्पलता पाण्डेय ने बताया कि मौलिक विचार मातृ भाषा में ही अधिकतर आते हैं और संपर्क भाषा, क्षेत्रीय भाषा आदि शिक्षा के क्षेत्र में भी सर्वोत्तम आगत को प्रोत्साहन देते हैं. भाषा अधिगम के साथ ही संस्कृति के हस्तांतरण का प्रमुख माध्यम है जो छात्र को शिक्षा व संस्कृति से जोड़ भी सकती है व विमुख भी कर सकती है.