मकर संक्रांति समाज से छुआछूत व रूढ़ियों को समाप्त कर समरसता एवं स्वाभिमान जगाने का पर्व- अरुण

मुख्य वक्ता अरुण ने बताया कि मकर संक्रांति समाज से छुआछूत व रूढ़ियों को समाप्त कर समरसता एवं स्वाभिमान जगाने का पर्व है. संक्रमण का उत्सव हम बहुत महत्व का मानते हैं. प्राचीन काल से ही ज्ञान रुपी प्रकाश की उपासना करने वाले भारतीय जीवन में इस दिन का महत्व है. अपना कार्य भी आत्मविस्मृत्ति रुपी अंधकार को नष्ट कर आत्म जागरण करने के लिए ही निर्माण हुआ है. हमारी संस्कृति में सभी का सम्मान प्राचीनकाल से ही होता रहा है. हमारे सभी संस्कार समरस होता है.