साहस, शौर्य एवं संवेदना के प्रतीक थे चंद्रशेखर 

आठ जुलाई को जयंती के मौके पर पूरे जिले में होंगे विविध कार्यक्रम. करोड़ों लोगों में कोई एक ही ऐसे होता है, जो अपने पीछे ऐसी यादें छोड़ जाते हैं, जिन्हें न केवल देश के लोग याद करते हैं, बल्कि सारा संसार उनके कर्मों को याद करता है. विश्व इतिहास स्वर्ण अक्षरों में ऐसा नाम लिखा जाता है. वैसे ही ऐतिहासिक लोगों में हमारे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी थे. देश के इस महान सपूत का जन्म 17 अप्रैल 1927 को बलिया के गांव इब्राहिमपट्टी के एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था.

चंद्रशेखर के कारण बना जेपी स्मारक

अद्भुत संकल्प, अटूट निष्ठा और अनवरत प्रयास का नतीजा है, जयप्रकाश नगर (जेपी की जन्मभूमि) में जेपी स्मारक. अकेले चंद्रशेखर के साहस और निष्ठा से ही जेपी की जन्मभूमि में अनूठा स्मारक बनाने का स्वप्न साकार हुआ है. वस्तुत: यह स्मारक असंभव कल्पना का साकार रूप है, जो घोर देहात के वाकिफ नहीं हैं, उन्हें बिना यहां का भूगोल जाने शायद इस कथन पर यकीन न हो. हिंदुस्तान की दो मशहूर नदियों गंगा और घाघरा के बीच बसा है सिताबदियारा. यहीं दोनों नदियों का संगम भी है.