वाल्मीकि जयंती विशेष- वाल्मीकि आश्रम से जुड़ी है बलिया के नामकरण की कहानी

श्री कौशिकेय ने बताया कि
वाल्मीकि आश्रम के संदर्भ में उसके मलद – करुष राज्य की सीमा पर होने का उल्लेख है. यह राज्य वर्तमान बिहार राज्य के आरा जिले के उत्तर दिशा में था. करुष राज्य की सीमा कामदहन भूमि कामेश्वरधाम कारों से जुड़ी है.

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उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा कहानी कविता एवं निबंध प्रतियोगिता का आयोजन

प्रतियोगिता उत्तर प्रदेश के युवा रचनाकारों के लिए है. इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार 7,000 रुपये, द्वितीय पुरस्कार 5,000 रुपये, तृतीय पुरस्कार 4,000 रुपये सांत्वना पुरस्कार (संख्या-दो)- 2,000 रुपये दिया जाएगा.

बलिया जीआईसी के शिवम को कहानी लेखन में पहला स्थान, निबंध लेखन में सनबीम की छात्रा निहारिका जायसवाल प्रथम

बुधवार को जनपदीय निबंध एवं कहानी लेखन प्रतियोगिता आयोजित हुई. “आजादी का महत्व” पर कहानी लेखन एवं “स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, इसे मैं लेकर रहुँगा” विषयक निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया .

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वो कुत्ता अपनी बीवी को इसलिए बेचने जा रहा था क्योंकि वो बहुत सुंदर थी. भई वाह! बीवी खूबसूरत हो तो कोठे बेच देंगे, बदसूरत हो तो घर से बाहर खदेड़ देंगे… वाह. बीवी खूबसूरत हो तो कोठे पर बेचे देंगे, खूबसूरत न हो तो खुद कोठे कोठे घूमते फिरेंगे.

लोग सूती अउरी कुकुर भुकि, तब चौबाइन के बीजे होखि

मेरे घर के पीछे पद्मदेव पाण्डेय का मकान था. पद्मदेव पाण्डेय उस जमाने में गाँव के एक मात्र पढ़े लिखे व्यक्ति थे. वह भी Bsc , MA , L.L.B. मेरी माँ और उनकी पत्नी का आपस में बहनापा था.

आत्मीय और जीवंत कथाकार थे अमरकांत

अमरकांत अत्यंत आत्मीय कथाकार, उपन्यासकार थे. उतने ही सहज और पारदर्शी. उनकी रचनाएं दिल को छू कर देर तक दिमाग पर छाई रहती हैं. अमरकांत की अनुपस्थिति से रिक्तता का बोध होना स्वाभाविक है. वे प्रेमचंद की परंपरा के कथाकार थे. उन्होंने उस समय अपनी पहचान बनाई जब नई कहानी आंदोलन जोर पकड़ चुका था.