भौतिकवाद में फंस कर मनुष्य हुआ पशु समान : अपरिमेय श्यामदास जी

आहार, निद्रा, भय के मायाजाल में फंस कर मनुष्य पशु समान हो गया है. श्रीमद्भागवत गीता के अमृत पान से मनुष्य अपने जीवन को सार्थक कर सकता है.