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कथा के आखिरी दिन रविवार के देर शाम कथा प्रसंग में भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक का प्रसंग सुन भक्त खुशी से झूम उठे. भक्तों के जय श्रीराम के गगनभेदी नारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया. स्वामी राधारंग जी महाराज ने कथा का विस्तार देते हुए कहा कि भगवान श्रीराम धर्मपालन के आदर्श प्रतिमान है. वनवास के अवसर धैर्य का जैसा अपूर्व प्रदर्शन श्रीराम ने किया वैसा अत्यंत दुर्लभ है. जिस परिस्थिति में स्वयं महाराज दशरथ अधीर हैं,राज परिवार अधीर हैं,मंत्री सुमंत अधीर हैं,अयोध्या की प्रजा अधीर हैं, उस स्थिति में भी श्रीराम “धीर”हैं.