बसंतपुर में कालानमक किरण की 42 एकड़ में हो रही खेती
बलिया. जिले के सुल्तानपुर निवासी आनंद सिंह के अथक परिश्रम और प्रगतिशील सोच की बदौलत बसंतपुर में 42 एकड़ में धान की खास प्रजाति ‘कालानमक किरण’ की फसल औसत से कम बरसात के बाद भी लहलहाती दिख रही है.
ऑर्गेनिक विधि से तैयार इस खास प्रजाति के चावल की देश के दक्षिणी प्रांतों में जबरदस्त मांग है.
नए तरीके की खेती से किसान न सिर्फ स्वयं समृद्ध बन चुके हैं बल्कि चार से छह लोगों को वर्षभर रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं. आज वह प्रेरणास्रोत बन गए हैं.
1994 में टीडी कालेज ( बलिया ) से कृषि स्नातक आनंद पॉयनियर हाइब्रिड कंपनी में कन्नौज, उन्नाव, कुशीनगर, व देवरिया में अच्छी-खासी सेलरी पर नौकरी कर चुके हैं. वर्ष 2021 में अपने सहयोगियों के साथ बसंतपुर में 100 एकड़ जमीन लीज पर ली.
एक दो साल तक खास प्रजाति ‘कालानमक किरण’ की थोड़ी बहुत खेती करते थे. प्रयोग सफल हुआ तो 42 एकड़ में इस धान की रोपाई पीलीभीत से प्रशिक्षत मजदूरों से बुलाकर कराया.
राजीव दीक्षित का ऑडियो ‘खेती की गुलामी’ सुनकर बढ़ी दिलचस्पी
आनंद बताते हैं कि वह वर्ष 2018 में राजीव दीक्षित का ऑडियो (खेती की गुलामी) सुनने के बाद नौकरी छोड़ने का फैसला लिया. किसानी की ओर बढ़ रही रुचि ने उन्हें झांसी पहुंचा दिया.
वह ऑर्गेनिक खेती के विशेषज्ञ सुभाष पालेकर के शिविर में एक पखवाड़े का परीक्षण प्राप्त किया. वर्ष 2019 में अहमदाबाद स्थित वंशीगर गोशाला पहुँचकर गोकृताअमृत के फसलों पर प्रयोग के तरीकों की जानकारी ली और प्रयोग के तौर पर पहली बार 2020 में छह किलो कालानमक किरण का बीज ऑनलाइन मंगाया.
अक्टूबर के अंत में होती है कटाई
कालानमक किरण की नर्सरी जून महीने के पहले सप्ताह में डाली जाती है. वही इसकी रोपाई पांच जुलाई तक करनी होती है. और अक्टूबर के अंत तक इसकी कटनी होती है. इसके बाद जैसे-जैसे डिमांड आता है. चावल की कुटाई करायी जाती है ताकि चावल की सुगंध बरकरार रहे.
तमिलनाडु, कर्नाटक के साथ पूणे व मैसूर से डिमांड
किसान के अनुसार खास किस्म के धान कालानमक किरण तमिलनाडु के त्रिची, कर्नाटक के शिवमोगा, हुडबली, मैसूर, पूणे, दिल्ली, चंडीगढ़ के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसकी जबरदस्त डिमांड हो रही है.