आतंकिस्तान है कि मानता नहीं, सीधी भाषा समझता नहीं

बलिया। भारतीय एअर फोर्स का शूरवीर स्वदेश वापस लौट आया. परंतु इस गगनवीर के साथ पाकिस्तान द्वारा किया गया उत्पीड़न जेनेवा संधि का सीधा उल्लंघन है. वह एफ-16 लड़ाकू विमान के मार गिराये जाने से तिलमिलाया हुआ है. वह सीधी भाषा समझ भी नहीं सकता. उसे सीख देने के लिए भारतीय कमांडों को अपनी शक्ति-शौर्य का प्रदर्शन करना अनिवार्य लगने लगा है.

सीआरपीएफ से रिटायर्ड फौजी सीआरपीएफ के हवलदार मेजर आजमगढ़ मंडल के प्रधान संगठन के अध्यक्ष विमल कुमार पाठक ने कहा कि जो जिस भाषा को समझता है, उसे उसी भाषा में समझाया जा सकता है. पाकिस्तान से आतंकिस्तान बना यह देश बम, गोली के अलावा दूसरी भाषा समझ ही नहीं सकता. इसे उसी भाषा में समझाने की जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र संघ भी उसे आतंक का सहारा छोड़ने पर मजबूर नहीं कर सकता. इसे सभी देश समझ भी रहे है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस कथन का श्री पाठक ने स्वागत किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि आतंक को पाकिस्तान समाप्त नहीं करता है तो भारत इसे खात्मा के लिए कुछ भी कर सकता है. परंतु भारत आतंक को पनपने नहीं देगा.
दुबहर के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि विनय कुमार उर्फ बिट्टू मिश्रा ने कहा कि हम भारतीयों को अपनी सेना पर गर्व है. विदेशी जमीन पर अभिनंदन वर्धमान ने जिस दिलेरी का परिचय दिया है, वह काबिले तारिफ है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेश नीति तथा कूटनीति को लोग लोहा मानने लगे है. हमे देश में बैठे गद्दारों से सावधान रहने की जरूरत है.
जनाड़ी के ग्राम प्रधान घनश्याम पाण्डेय ने कहा कि भारत के एअर स्ट्राइक से विश्व में भारतीय वीरों की साख बनी है. अब विश्व की ताकत बनने से कोई रोक नहीं सकता. प्रधानमंत्री की मेहनत व कूटनीति का अब नतीजा सामने आने लगा है. हम विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर है.
अखार गांव के प्रधान प्रतिनिधि सुनील कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश काफी मजबूत हुआ है. आतंक को समाप्त करने के लिए भारत के तीनों सेनाओं को खुली छूट देना, यह कोई 56 इंच का सीना वाला व्यक्ति ही कर सकता है. आतंक को समाप्त करने के लिए दहाड़ना शेर-ए-दिल इंसान ही कर सकता है. यही कारण है कि आज विपक्ष मौन है.
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