अगर अब भी नहीं चेता मनुष्य तो आयु दस साल ही रह जाएगी

बक्सर से विकास राय

vikash_raiअंतर्राष्ट्रीय भागवत कथा वाचक श्रीकृष्ण चन्द्र शास्त्री उपाख्य ठाकुर जी की कथा इन दिनों बक्सर में चल रही है. सीताराम विवाह महोत्सव के मौके पर यहां पधारे ठाकुर जी ने कथा में उपदेशों की अमृत वर्षा की. गीता पाठ का उल्लेख करते हुए उन्होंने अहम जानकारी दी. इस महीने अर्थात मार्गशीर्ष (अगहन) की शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन भगवान ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता उपदेश दिया था. यह माह अभी चल रहा है. भागवत के बहुत ही महत्वपूर्ण उपदेश सुनाए.

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कहा, मनुष्य के दो शत्रु हैं. आलस्य व ईष्र्या. यह जीवन को नष्ट कर देते हैं. मानव के दो मित्र भी हैं, कर्म योग व विवेक. इनके बल पर जीवन को सार्थक व सफल बनाया जा सकता है. मनुष्य को पांच सेवाएं अवश्य करनी चाहिए. गौ सेवा, राष्ट्र सेवा, संत सेवा, भगवत सेवा, माता-पिता की सेवा. दान की व्याख्या करते हुए बताया कई महादान हैं. इनमें विद्या का दान महत्वपूर्ण है. यह शरीर पंच तत्व से बना है. इसके अंदर जो विद्यमान है. वह निकल जाए तो यह शरीर अधम है. इसलिए भगवत भजन करें.

ठाकुर जी ने कहा, शरीर को परमात्मा की प्राप्ति का साधन बनाए. अन्यथा अधम बनने से इसे कोई नहीं रोक सकता. बहुत ही अच्छे कर्म के उपरान्त यह शरीर मिला है. बगैर कर्म के कुछ भी संभव नहीं. मनुष्य को कर्मवादी बनना चाहिए. भाग्यवादी नहीं. कर्म ही बीज है, भाग्य तो फल है. सतयुग में लोगों की आयु एक लाख वर्ष हुआ करती थी. त्रेता युग में एक जीरो हटा और आयु 10 हजार वर्ष रह गयी. द्वापर में एक जीरो और हटा. आयु एक हजार वर्ष रह गयी. कलयुग में एक जीरो और हटा. मनुष्य की आयु 100 वर्ष हो गयी. अभी कलयुग का बहुत थोड़ा अंश बीता है. लोगों की आयु घटती जा रही है. अगर आपका आहार व्यवहार संयमित नहीं रहा, तो कालांतर में आयु दस वर्ष ही रह जाएगी.

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