सिकन्दरपुर, बलिया. करीब पंद्रह दिन से घाघरा नदी के जलस्तर में हो रहे उतार-चढ़ाव का क्रम शुक्रवार को भी जारी रहा. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार नदी का पानी लाल निशान को पार करने के बाद करीब एक मीटर ऊपर से बह रहा था.
आयोग के कर्मचारियों के मुताबित गुरुवार की डीएसपी हेड पर नदी का खतरा बिंदु 64.01 मीटर है, जबकि जलस्तर 65.06 मीटर रिकार्ड किया गया. बताया जाता है कि नदी लाल निशान से करीब 1.05 मीटर ऊपर बह रही थी. हालांकि नदी में कब तक ठहराव रहेगा इसको लेकर संशय बना हुआ है.
नदी का पानी अब आबादी की ओर जाने लगा है. इसके चलते खेत, सड़क और गांवों का निचला इलाका डूब चुका है. घाघरा नदी के जलस्तर में हो रही वृद्धि से जहां रिंग बंधे पर नदी का दबाव बढ़ता जा रहा है. वहीं बाढ़ का पानी नदी के तटवर्ती गांवों में फैलने के बाद घरों मे घुसने लगा है.
कठौड़ा राजभर बस्ती और बिंद बस्ती के अलावा बसारिखपुर, मोहम्मदपुर, गोसाईपुर में नदी का पानी घुसने से खलबली मची हुई है. गोसाईपुर गांव के बाहर स्थित रामा चौधरी और सुमेर चौधरी समेत अन्य लोगों का डेरा टापू बन चुका है. लोगों का कहना है कि सबसे अधिक परेशानी पशुओं को हो रही है, जबकि जिला प्रशासन की ओर से बाढ़ से घिरे लोगों के लिये कोई इंतजाम नहीं किया गया है. दर्जनों गांवों के मुख्य मार्ग पर घुटने तक पानी भरने से आवागमन प्रभावित हो गया है. लाल निशान से करीब 1.05 मीटर ऊपर बह रही घाघरा नदी धीरे-धीरे साल 2020 के उच्चतम बिंदु की ओर बढ़ रहा है.
साल 2020 में डीएसपी हेड पर घाघरा का जलस्तर 65.27 मीटर पर पहुंच चुका था. इसके चलते बिल्थरारोड, सिकन्दरपुर और बांसडीह तहसील के करीब 34 गांवों की लगभग 28 हजार की आबादी प्रभावित हुई थी.
सूत्रों की मानें तो पिछले साल घाघरा नदी में आयी बाढ़ से तीनों तहसीलों की तकरीबन 282.22 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गयी थी, जबकि साल 2017 में घाघरा का जलस्तर 65.30 मीटर रिकार्ड किया गया था. उस साल जिले की तीन तहसीलों के कुल 37 गांव बाढ़ की चपेट में आये थे और 389 हेक्टेयर फसल नष्ट हो गयी थी. इस साल नदी के रौद्र रूप को देखते हुए लोग सहमे हुए हैं.
(सिकंदरपुर से संतोष शर्मा की रिपोर्ट)