बाढ़ और बलिया – यहां के लोग दुआओं में मौत मांगते हैं, जो जी रहे हैं तो बस यह हुनर उन्हीं का है

कहीं बांध को टूटने से बचाने की जद्दोजहद है तो कहीं गंगा की तेज धार के बीच गांव से निकलने और लोगों को निकालने की कोशिश. कहीं छतों पर जमे परिवारों तक खाना पहुंचाने की जद्दोजहद, तो कहीं मवेशियों तक चारा ले जाने की कोशिश, कोई घर छोड़ने को तैयार नहीं तो कोई घर जाने को तैयार नहीं, क्योंकि गंगा और घाघरा ने कई बस्तियों के नामोनिशान मिटा दिए हैं. बलिया जिले में बाढ़ग्रस्त गांव तो अलग-अलग हैं लेकिन सबका दर्द एक है, सबकी दास्तान एक है. आखिर कितना बदला है बलिया, आइए जानते हैं बीते सालों के हालातों को बयां करती बलिया लाइव की कुछ विशेष प्रस्तुतियों के जरिए –

48 सालों में अरबों खर्च, फिर भी खरबों का नुकसान झेलते रहे द्वाबावासी

अगर अब भी नहीं चेते तो गंगापुर और केहरपुर में कहर ढा सकती है गंगा

पहली ही बारिश में सहम गए गंगा किनारे वाले, उम्मीदों पर पानी फिरने लगा है

चौबेछपरा के बाद गोपालपुर और दुबेछपरा में संकट गहराया

परेशानी का सबब बना बाढ़ देखने वाला हुजूम

दुबेछपरा में शासन-प्रशासन का इम्तहान शुरू

बाढ़ कटान राहत कार्य में धांधली का खेल शुरू- विनोद सिंह

बाढ़ कटान सुरक्षा: दावा नया करने का, हालात पहले से भी बदतर

गंगा तटवर्ती गावों में  घरों  पर चलने लगे हथौड़े

अपनी सरकार के सिंचाई विभाग के खिलाफ बैरिया विधायक ने खड़ी की मानव श्रृंखला

अब फिक्र उनकी जो मौत के मुंह में डेरा डाले रहे

प्रशासन की लापरवाही से टूटा रिंग बांध – भरत सिंह

अप्रैल में ही चेते होते तो आज नहीं टूटता रिंग बांध

दो दर्जन गांवों के पैतीस हजार लोगों का संकट गहराया

भरौली में भी तबाही का मंजर, कोई पुरसाहाल नहीं

गंगा के पानी ने किया नाक में दम

दुबे छपरा रिंग बांध वेंटिलेटर पर, भगदड़ सरीखे हालात

जल जमाव एवं बाढ़ से मुक्ति दिलाने हेतु बना था कटहल नाला– डॉ. गणेश पाठक

शासन प्रशासन घाघरा तटवर्ती क्षेत्र के बाढ़ व कटान को लेकर गम्भीर नहीं: अंचल

बाढ़ व कटान रोधी कार्य में सुस्ती, लूट पर गड़ी नजरें 

बाढ़ कटान सुरक्षा में लापरवाही देख आमरण अनशन पर बैठे कटान पीड़ित

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