मझौवां (बलिया)। दुबेछपरा पास 29 करोड़ की लागत से हो रहे कटानरोधी बचाव कार्य की धीमी गति पर मिल रहे चौतरफा दबाव के बाद भी बाढ़ विभाग और ठेकेदारों के अड़ियल रवैये में कोई परिवर्तन होता नहीं दिख रहा है. कटानरोधी कार्यों में जहां तेजी होनी चाहिए, वहां रोज रोज इसकी रफ्तार कम ही होती जा रही है. बार बार ग्रामीणों के ध्यान आकृष्ट करने के बाद भी बाढ़ विभाग से लेकर शासन जनप्रतिनिधि कुंभकर्णी नींद में सो गए है.
गंगा में हो रहे कटान से तटवर्ती लोग भयग्रस्त हैं. वहीं तटवर्ती क्षेत्रों के केहरपुर, लाल बगीचा टोला, हुकुम छपरा अति संवेदशील गंगापुर आदि कटान और बाढ़ के पानी भरने का सिलसिला जारी है. बाढ़ का पानी मझौवां तलहटी वाले क्षेत्र में फ़ैल जाने से पट्टेदार किसानों की दस बीघे खड़ी फसल परवल, भिंडी, टमाटर, लौकी की सब्जी की फसल डूब कर बर्बाद हो गई है. पट्टेदार किसानों को पहले ही परवल की खेती में काफी नुकसान हुआ और अब जो कुछ भी बचा था वह बाढ़ के पानी में डूब गया.
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अति संवेदनशील गंगापुर से एनएच 31 की दूरी महज 20 मीटर शेष बची है. जिस पर लगातार दबाव से एनएच-31 की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है. जहां एअर, ईसी बैग विधि से कटान रोकने का काम रहा है. कटान तेज होने की वजह से एअर, ईसी बैग गंगा की धारा में समा जा रहे हैं. अब तो बाढ़ विभाग पेड़ की डाली टहनियों के सहारे गंगा के कटान को रोकने का प्रयास कर रहा है. बाढ़ विभाग के इस रवैये के कारण निराश होकर कटान पीड़ित अपने ही घरों पर हथौड़े चलाना शुरु दिये है. ताकि समय रहते अपने सामान को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा सके. बाढ़ विभाग की सुस्ती से यह साफ नजर आ रहा है कि विभाग फ्लड फाइटिंग की इंतजार में बैठा है. ताकि भारी भरकम लूट खसोट की जा सके.