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आशीष दूबे, बलिया
बलिया. सरयू की बाढ़ के जोरदार वेग को एनएच 31 सह नहीं सका और बृहस्पतिवार की रात का इसका कुछ हिस्सा कट गया जिससे बिहार राज्य से बलिया का संपर्क टूट गया है। शुक्रवार को युद्धस्तर पर मरम्मत का कार्य चलता रहा लेकिन आवागमन चालू नहीं हो पाया था। आज शनिवार को मरम्मत कार्य पूरा हो जाने की संभावना है।
लोगों का कहना है कि हर साल बोल्डर गिराने के बजाय यदि गंगा और सरयू किनारे पक्का सीमेंटेंड बांध का निर्माण हो गया होता तो आज चांददीयर के पास नेशनल हाईवे इस तरह बह नहीं जाता और न ही हजारों की आबादी का जनजीवन प्रभावित होता.
लगभग सात दशकों में अलग—अलग पार्टी से अनेकों माननीय सदन में गए, एक से बढ़कर एक तेज तर्रार अधिकारी भी आए, लेकिन किसी ने भी ठोस कार्य करने की जरूरत नहीं समझी। नतीजा सरयू नदी के बहाव में एनएच—31 बह गया.
बैरिया जिसे द्वाबा क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, इस इलाके के लिए बाढ़ और कटान की समस्या नासूर की तरह है. हर साल बरसात के महीने एक बड़ी आबादी गांव छोड़कर अन्यत्र पलायन करने पर मजबूर होती है. हर सरकार में इस क्षेत्र में कटान को रोकने के लिए प्रत्येक वर्ष बोल्डर गिराकर कटाने रोकने का खेल चलता है, करोड़ों रूपए का टेंडर निकलता है लेकिन ठीक से काम भी नहीं हो पाता.
स्थानीय निवासियों की मानें तो आजादी के बाद से सात दशक में कटान और बाढ़ के लिए अब तक लगभग एक खरब रूपए खर्च किए गए, लेकिन इसका लाभ यहां की जनता को नहीं मिला. स्थानीय लोगों की मानें तो इतने पैसे से यदि गंगा और घाघरा किनारे पक्का सीमेंटेड बांध बना दिया गया होता तो कटान और बाढ़ की समस्या से हमेशा के लिए निजाज मिल जाता.
आजादी के बाद से सात दशकों में अलग-अलग पार्टियो के सरकार में लगभग एक खरब रूपए बोल्डर गिराने और जिगो बैग विधि के नाम पर खर्च किए गए हैं. लेकिन जमीन पर काम मुश्किल दस या 20 प्रतिशत का ही हुआ है. बाकी सब लूट-खसोट की भेंट चढ़ी है.
हर साल इन गांवों में मचाती है तबाही
दो नदी गंगा और सरयू के मिलन के चलते इस इलाके को द्वाबा भी कहा जाता है. हर साल बरसात के समय यहां गोपालपुर, चांददीयर, इब्राहिमाबाद नौबरार, बहुआरा, शिवपुर कपूर दीयर, जगदेवा, टेंगरही आंशिक को जहां गंगा जी प्रभावित करती है. वहीं गोपालनगर, शिवाल, चांददीयर, नौबरार को घाघरा प्रभावित करती है.
कमीशन के चक्कर में 200 करोड़ रूपए का कार्य हुआ बंद?
16 सितंबर 2019 को जब दूबे छपरा रिंग बंधा टूट गया, तब अगले ही दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हवाई सर्वे किया फिर 200 करोड़ रूपए की लागत से ड्रेनेज कार्य कराने की स्वीकृति प्रदान की. आरोप लगे कि कमीशनबाजी के चक्कर में ठेकेदार बीच रास्ते में ही काम छोड़कर भाग गए. उसके बाद से काम रूक गया.
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