बलिया LIVE स्पेशल: पराली जलाने वालों पर प्रशासन की कड़ी नजर, नियम तोड़ा तो होगी कार्रवाई
किसानों को बांटे जाएंगे 42 हजार वेस्ट डी कंपोजर
पराली जलाने वालों पर सैटेलाइट से रखी जा रही नजर
बलिया. जिले में धान की कुटाई शुरू होने से पहले ही कृषि विभाग अलर्ट हो गया है. किसान पराली खेतों में ना जलाएं, इसके लिए तैयारी कर ली गई है.
अब पराली का खाद बनाने के लिए कृषि विभाग जनपद में सात हजार वेस्ट डीकंपोजर वितरित करेगा. पराली जलाने को लेकर सेटेलाइट के माध्यम से नजर रखी जाएगी. वहीं खेतों में पराली जलने वालों पर कार्रवाई भी की जाएगी.
कृषि विभाग के अनुसार जनपद में लगभग एक लाख 11 हजार 651 हेक्टेयर धान का रकबा है. आने वाले अक्टूबर में जनपद में धान की कुटाई शुरू हो जाएगी.
इसके लिए कृषि विभाग ने किसानों को खेतों में पराली ना जलाने के लिए चेताया है. खेतों में पराली जलाए जाने से वायु तो दूषित होती ही है साथ ही खेतों की उर्वरता बढ़ाने में सहायक कीट पतंग भी खेतों में ही जल जाते हैं.
इससे बचने के लिए कृषि विभाग जिले के किसानों को करीब 42 हजार वेस्ट डी कंपोजर वितरित करेगा. इसके जरिए खेतों में ही पराली की खाद बनाई जा सकती है.
क्या बोले डी ए ओ
जिला कृषि अधिकारी पवन कुमार प्रजापति ने बताया कि खेतों में पराली जलाने के लिए सख्त मनाही है.
कैसे तैयार होता है मिश्रण, जाने पूरा तरीका
वेस्ट डीकंपोजर तैयार करने के लिए 200 लीटर पानी में दो किलोग्राम गुड़ और 2 किलो बेसन मिलाकर उसमें वेस्ट डीकंपोजर डाला जाता है. जिसको मिलाकर अच्छे से मिश्रण तैयार किया जाता है. 48 घंटे के लिए इस मिश्रण को किसी छांव वाले स्थान पर रखा जाता है. बीच-बीच में इसको चलाते रहना है. 48 घंटे बाद इस मिश्रण का छिड़काव पराली अथवा गन्ने की पत्ती पर कर दिया जाता है. जिससे करीब एक सप्ताह के भीतर पराली अथवा गन्ने की पत्ती खाद के रूप में तब्दील हो जाती है.
मिश्रण का प्रयोग करने में कम आती है लागत उत्पादन होता है अच्छा
कृषि विभाग का कहना है कि डीकंपोजर के इस्तेमाल में खेतों में ही पराली का खाद तैयार किया जाता है जो कि खेत में पोषक तत्वों की कमी की पूर्ति करता है, जिससे फसल में लागत भी कम आती है और उत्पादन अच्छा होता है. धान की पराली के साथ-साथ गन्ने की पत्ती को खेत में गलाने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है.