तो क्या सांसद के गोद लेने से बचेगा केहरपुर का अस्तित्व..?

मझौवा (बलिया)। अरबों खर्च के बाद भी गंगा के मुहाने पर बसे लोगों की मुश्किलें कम नही हुई. हालात यह रहा कि हर साल करोड़ो रूपये बाढ़ कटानों के नाम पर खर्च किये जाते रहे. लेकिन इसका कोई स्थायी समाधान नही निकला. संयोग अच्छा है कि इस साल बाढ़ ने अपना रूप नहीं पकड़ा, नहीं तो गंगा के मुहाने पर बसे केहरपुर, सुघरछपरा गांव का अस्तित्व मिट जाता.

अब देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि इस ग्राम सभा का चयन आदर्श ग्राम के लिए चयनित हुआ. जिसको मंगलवार को सांसद भरत सिंह गोद लेंगे. बताते चले कि केहरपुर के लोग गंगा के कटान से अपने गांव को बचने के लिये जिलाधिकारी से लगायत मुख्यमंत्री तक के दरवाजे खटखटाया है.  केहरपुर के लोगों में यह आस जगी है कि शायद हमारा गांव गंगा के कटान से बच जाए. लेकिन बाढ़ विभाग की उदासीनता का आलम यह है कि अभी तक केवल बचाव के नाम पर कोरा आश्वासन मिला है. सबसे विचित्र बात यह है कि इस ग्राम सभा का पुरवा श्रीनगर व माफी केहरपुर के प्रेमनगर का गत वर्ष में नमो निशान मिट गया, और इन पीड़ितों को सहायता के नाम पर एक फूटी कौड़ी तक नसीब नही हुई. यही नही ये पीड़ित कई बार अपनी मांग तहसील दिवस पर जिलाधकारी के समक्ष भी रखेे. लेकिन आज तक जिम्मेदार अधिकारी के कानों पर जूं तक नही रेंगा. क्षेत्र के नवल किशोर मिश्र, सुशील मिश्र, नारायण सिंह, मनीष सिंह, त्रिलोकी सिंह, राहुल बसर सहित दर्जनो कटान पीडितो ने जनप्रतिनिधियों सहित जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट करने व बाढ़ कटान का स्थाई समाधान केलिये गुहार लगया है. इस बावत बाढ़ विभाग एसडीओ चंद्रमोहन साही ने बताया कि केहरपुर के लिए प्रस्ताव भेजा गया है धन मिलने पर कार्य कराया जाएगा.

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