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वैदिक मंत्रोच्चार के साथ श्रीराम-जानकी मूर्ति स्थापित
हल्दी. क्षेत्र के बसुधरपाह गांव में चल रहे श्रीराम-जानकी प्राण प्रतिष्ठात्मक महायज्ञ के छठे दिन एक तरफ कथावाचक आचार्य दयाशंकर शास्त्री ने शिव विवाह का वृहद वर्णन करते हुए बताया कि भगवान शिव के विवाह के बारे में पुराणों में वर्णन मिलता है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने सबसे पहले सती से विवाह किया था. भगवान शिव का यह विवाह बड़ी जटिल परिस्थितियों में हुआ था. सती के पिता दक्ष भगवान शिव से अपने पुत्री का विवाह नहीं करना चाहते थे लेकिन ब्रह्मा जी के कहने पर यह विवाह सम्पन्न हो गया. एक दिन राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान कर दिया जिससे नाराज होकर माता सती ने यज्ञ में कूदकर आत्मदाह कर ली. इस घटना के बाद भगवान शिव तपस्या में लीन हो गए. उधर माता सती ने हिमवान के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया.
भगवान शिव, पार्वती जी से विवाह के लिए तैयार हुए तो बारात कैसे आती है कैसे विवाह होता है इसका वर्णन झांकी के द्वारा किया और जब भगवान शिव अपने भूत प्रेत बने श्रद्धालुओ के साथ प्रवचन प्रांगण में आये तो हर-हर महादेव के जयकारों से पूरा नगर मुग्ध हो गया.
बारातियों के नाच-गाना के बाद गांव के लोगों द्वारा उन्हें जलपान कराया गया. फिर जयमाला के साथ ही विवाह की झांकी सम्पन्न हुई. दूसरी तरफ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ श्रीराम-जानकी परिवार, भगवान शिव परिवार, हनुमान जी और शालीग्राम देवता की मूर्ति सदियों पुरानी ठाकुरबाड़ी में स्थापित किया गया.
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