देश भक्ति के नारों के बीच फिर खुला बलिया जिला कारागार का फाटक

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बलिया। बुधवार को सुबह 9 बजे देश भक्ति नारों के बीच बलिया जिला जेल का फाटक खुला और सेनानी समेत प्रमुख लोग प्रतीकात्मक रूप से बाहर आए. इसके बाद स्वतंत्रता सेनानी पं. राम विचार पांडेय, जिलाधिकारी श्रीहरिप्रताप शाही, पुलिस अधीक्षक देवेंद्र नाथ, सिटी मजिस्ट्रेट नागेंद्र सिंह, द्विजेन्द्र मिश्र, विनय पाण्डेय संयोजक बलिया बलिदान दिवस, लक्ष्मण गुप्ता, कौशल गुप्ता आदि के नेतृत्व में भारत माता के जयकारे के बीच विभूतियों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करते हुए आगे बढ़े. सेनानियों व अन्य प्रमुख लोगों का यह जत्था सेनानी राजकुमार बाघ की प्रतिमा तक पहुंचा.

विभिन्न लोगों ने अलग अलग टोली बनाकर बलिया सिटी में स्थित शहीद और सेनानी वीरवर बाबू कुंवर सिंह, रामदहिन ओझा, मुरली बाबू, भीमराव अम्बेडकर, शेरे बलिया चित्तू पाण्डेय, पं. तारकेश्वर पाण्डेय, मंगल पाण्डेय, लालबहादुर शास्त्री, चंद्रशेखर आजाद, उमाशंकर सोनार के बाद शहीद पार्क चौक स्थित महात्मा गांधी और शहीद सेनानियों के शिलापट्ट पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित किया. क्रांति मैदान (बापू भवन) टाउन हाल क्रांतिभूमि में 19 अगस्त, 1942 को आजादी की घोषणा की गईं थी, उस चबूतरे/मंच को भी माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित किया गया.

सेनानी पं. रामविचार पाण्डेय ने 1942 में हुए भारत छोड़ो आंदोलन में हुई घटनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला. कहा कि हम तो उन दिनों की कल्पना करते कांप उठते हैं. सोचने कि बात यह है कि जिन्होंने इस आंदोलन को अंजाम दिया, उन पर क्या गुजरी होगी. बलिया बलिदान दिवस के संस्थापक सदस्य लक्ष्मण गुप्ता ने कहा कि आज वर्तमान समय में देश के युवाओं को चाहिए कि वह अपने गौरवशाली अतीत को भली-भांति जाने, क्योंकि जिस देश का समाज अपने इतिहास को नहीं जानता, उस देश कि आजादी अधिक दिन नहीं टिक सकती है.

संयोजक विनय पाण्डेय ने कहा कि 28 वर्षो से मनाए जा रहे बलिया बलिदान दिवस के आयोजन में कोरोना वायरस की वजह से यह पहला वर्ष है, जब इतनी सादगी के साथ इस महापर्व को मनाया जा रहा है. इस मौके पर मुन्ना उपाध्याय, ओमप्रकाश पाण्डेय, रामजी गुप्ता, अनिल राय, सागर, अखिलेश सिन्हा, अखिलेश पाण्डेय, चूड़ामणि साहब, दीना भाई, राजमंगल यादव, शशिकांत चतुर्वेदी, राजकुमार पाण्डेय, रमाशंकर तिवारी, अजय यादव, अबुल फैज, जन्मेजय, नकुल कुमार, संतोष गुप्ता, अभिषेक पाण्डेय, जैनेन्द्र पाण्डेय राजनाथ पाण्डेय, संतोष शुक्ल आदि मौजूद रहे.