दुबेछपरा(बलिया)। अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुबेछपरा में द्वाबा के मालवीय, समग्र विकास के पुरोधा, समाज सेवी एवं स्वतंत्रता सेनानी पं० अमरनाथ मिश्र की 92 वीं जयन्ती धूम- धाम से मनायी गयी. इस अवसर पर” पं० अमरनाथ मिश्र व्यक्तित्व एवं कृतित्व ” नामक विषय पर एक विचारगोष्ठी का भी आयोजन किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डा० जनार्दन राय रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता एडवोकेट लल्लन तिवारी ने किया. जबकि कार्यक्रम का संचालन डा. शिवेश राय ने किया. कार्यक्रम के प्रारम्भ में सर्व प्रथम पं अमरनाथ मिश्र की प्रतिमा पर सभी गणमान्य आगन्तुकों सहित महाविद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों द्वारा माल्यार्पण किया गया किया गया. तत्पश्चात महाविद्यालय सभागार में गोष्ठी का शुभारम्भ करने के परिप्रेक्ष्य में सर्व प्रथम दीप प्रज्वलित कर एवं माल्यार्पण कर मां सरस्वती की पूजा- अर्चना की गयी.
गोष्ठी को संबोधित करते हुए एडवोकेट रमाशंकर मिश्र ने पं० अमरनाथ मिश्र की सहृदयता, सहनशीलता, सहयोग, सत्कर्म एवं साधना के ऊपर विस्तृत प्रकाश डाला. पीएन इण्टर कालेज दूबेछपरा के प्रधानाचार्य गिरिवेश दत्त शुक्ल ने कहा कि मिश्र जी एक ऐसे कर्मयोगी थे जिन्होंने इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा की अलख जगायी. उमाशंकर मिश्र ने उनके द्वारा शिक्षा क्षेत्र में किए गये कार्यों की विस्तृत चर्चा की. जयसिंह चतुर्वेदी ने मिश्र जी के धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यों पर प्रकाश डाला. पं० शुभनारायण पाण्डेय ने अपने संस्मरणों द्वारा मिश्र जी के जीवन पर प्रकाश डाला.
बतौर मुख्य अतिथि गोष्ठी को संबोधित करते हुए डा जनार्दन राय ने कहा कि पं० अमरनाथ मिश्र एक स्वतंत्रता सेनानी, शैक्षिक उन्नयन के प्रणेता, सच्चे कर्मयोगी, समाज सेवी, राजनीतिज्ञ तथा धार्मिक आध्यात्मिक उत्थान के प्रणेता थे. इस प्रकार वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. जिनके लिए कोई भी कार्य असम्भव नही था वे धुन के पक्के थे और कठिन से कठिन कार्यों को भी इसी धुन के बल पर पूरा कर लेते थे. ऐसे मनीषी विरले ही होते हैं.
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में एडवोकेट लल्लन तिवारी ने कहा कि पं० अमरनाथ मिश्र एक ऐसे कर्मयोगी थे, जिनके शब्दकोश में असंभव नामक शब्द नहीं था. वे जिस पथ पर निकल जाते थे, रास्ता अपने आप मिल जाता था.
महाविद्यालय के प्राचार्य डा० गणेश कुमार पाठक ने अपने सम्बोधन में कहा कि पं० अमरनाथ मिश्र समग्र विकास के परोधा थे. वे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रत्येक क्षेत्र में ऐसे कार्य किए हैं कि उनकी मिशाल दी जाती है. यह इस क्षेत्र का सौभाग्य है कि इस क्षेत्र मे ऐसा मनीषी पैदा हुआ और इस क्षेत्र के समग्र विकास के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया.
गोष्ठी को सूर्य नारायण मिश्र, रामनारायण मिश्र, अक्षयवर ओझा, जेपी पाण्डेय, डा० सुधाकर तिवारी, बंशीधर मिश्र आदि वक्ताओं ने सम्बोधित किया. गोष्ठी में महाविद्यालय के सभी शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे.
कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि, कार्यक्रम के अध्यक्ष, स्वतंत्रता सेनानी राविचार पाण्डेय, शुभनारायण पाण्डेय एवं गिरिवेश दत्त शुक्ल को को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया. अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य डा० गणेश कुमार पाठक ने सभी आगन्तुकों एवं अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया.
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