गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन की परंपरा महर्षि वेदव्यास की पूजा करके ऋषि-मुनियों ने यह पर्व प्रारंभ किया

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गुरु पूर्णिमा पर विशेष-

बलिया। गुरुओं के गुरु, प्रथम पूज्य गुरु वेदव्यास जी की जन्मभूमि है बलिया.आज गुरुजनों द्वारा पूजें जा रहे हैं भगवान वेदव्यास.
वैदिक सनातन संस्कृति के सबसे बड़े पर्व गुरु पूर्णिमा पर प्रकाश डालते हुए ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर पाण्डुलिपि संरक्षण मिशन(भारतसरकार) के बलिया जिला समन्वयक, अध्यात्मतत्ववेत्ता साहित्यकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने कहा कि महाभारत महाकाव्य के रचईता, पुराणों के उद्धारक, कौरव, पाण्डवों के पिता धृतराष्ट्र, पाण्डु और बिदुर के जन्मदाता व्यास जी महाभारत कालीन भारत के सबसे शक्तिशाली महापुरुष हुए हैं. गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन की परंपरा को इन्हीं की पूजा करके ऋषि-मुनियों ने यह पर्व प्रारंभ किया था.
कौशिकेय ने बताया कि जिले की सदर तहसील के गंगा नदी में विलीन बालू के टीलों का बेचिरागी गाँव बाँसथाना को महाभारत महाकाव्य के रचयिता वेदव्यास जी की जन्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है.
पौराणिक ग्रंथों, ऐतिहासिक तथ्यों और जनश्रुति के अनुसार महाभारतकाल के महामनीषी वेदव्यास जी का जन्म विमुक्त भूमि बलिया के प्राचीन नावपत्तन, वैभवशाली नगर विलासपुर की नाविकों मत्स्य आखेटकों नगरी के नायक की पुत्री मत्स्यगंधा और भार्गव पराशर ऋषि के औरस पुत्र रुप में गंगा नदी के मध्य एक द्वीप पर हुये गर्भाधान से हुआ था.
लगभग 560 ईसा पूर्व जब युवा ऋषि पराशर अपने भाई गौतम ऋषि से मिलकर लौट रहे थे, तब उन्हें गंगा नदी पार कराने के लिये जो नौका मिली थी, उसे नवयौवना मत्स्यगंधा चला रही थी. इन दोनों ने गंगा नदी में एक द्वीप पर प्रणय संबंध स्थापित किया था. जिससे वेदव्यास जी का जन्म हुआ था. जन्म के तत्काल बाद मत्स्यगंधा ने लोकलाज के भय से विलासपुर नगर की नाविक नगरी से बीस किमी पूर्व दिशा में स्थित पराशर आश्रम परसिया जलमार्ग से पहुँचा दिया था. अर्थात वेदव्यास जी का जन्म विलासपुर की नाविक नगरी में ही हुआ था. जो कालांतर में व्यासस्थान के नाम से जाना जाता है. जिसका अपभ्रंश बाँसथाना है.
कौशिकेय ने बताया है कि इसके अभिलेखिय प्रमाण महाभारत महाकाव्य, केएम मुंशी जी, परमेश्वरी लाल गुप्त, आचार्य चतुरसेन, बलिया गजेटियर के 1988 ई के अंक पेज संख्या 88-89 एवं मि फिशर की पुस्तक स्टैटिकल्स एण्ड हिस्टोरिकल एकाउंट आफ द नार्थ-वेस्टर्न प्रोविन्स आफ इंडिया वाल्यूम 8 पार्ट 3 में देखा जा सकता है.
पुरातात्विक साक्ष्य के लिये बाँसथाना के निकट के गाँवों वैना और सागरपाली में महाभारतकालीन पुरावशेष प्राप्त होते हैं. वर्तमान में प्राचीन वैभवशाली नगर विलासपुर और व्यासस्थान बाँसथाना के नाम पर मूल स्थल के प्रमाण आज भी बलिया सदर तहसील के शासकीय अभिलेखों में विलासपुर और बाँसथाना मौजे के रुप में मौजूद हैं.