आज भी सटीक हैं मौसम भविष्यवाणी की परम्परागत विधियाँ: डा.गणेश पाठक

बलिया। मौसम का पूर्वानुमान एक जटिल प्रक्रिया है. कारण कि मौसम के तत्व एवं किसी स्थान में उनकी स्थिति अत्यधिक परिवर्तनशील होती है. फलतः मौसम की भविष्यवाणी हेतु कोई सामान्य सिद्धांत विकसित नहीं किया जा सका है, और न ही मौसम की भविष्यवाणी बिल्कुल सटीक हो पाती है. हम लोग जैसे भूगोल के विद्यार्थी तो मात्र आकलन ही प्रस्तुत करते हैं. यद्यपि कि आजकल मौसम विज्ञानियों द्वारा उपग्रहों के माध्यम से मौसम की सटीक भविष्यवाणी भी की जाने लगी है.
किन्तु यहां पर मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारी जो परम्परागत विधियां या अनुभव हैं, उनसे मौसम की भविष्यवाणी बहुत हद तक सच साबित होती है. महाकवि घाघ की कहावतें आज भी मौसम की भविष्यवाणी में सच साबित हो रही हैं. हमारे ग्रामीण समाज में आज भी ऐसे अनुभवीं किसान हैं जो पशु- पक्षियों के व्यवहार से, बादलों के स्वरूप से, हवा के रूख से एवं जल स्रोतों के घटाव- बढ़ाव से मौसम की सटीक भविष्यवाणी करते हैं.
यहां पर घाघ-भण्डरी की कहावतों में छिपी मौसम की भविष्यवाणी को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है ताकि आम जनता इससे प्रभावित हो सकें.
रोहिणी बरसे मृग तवे,
कुछ- कुछ आदरा जाय.
कहे घाघ सुन भण्डरी,
स्वान भात न खाय.
अर्थात यदि रोहिणी नक्षत्र में वर्षा हो जाय और मृगडाह नक्षत्र में खूब तपन हो तो आर्द्रा नक्षत्र में कुछ दिन बीत जाय तो इतनी अधिक वर्षा होती है कि चावल खूब पैदा होता है, और कुत्ता भी भात को नहीं पूछता है.
वायु चलेगी उत्तरा,
माड़ पियेंगे कुत्तरा.
अर्थात वर्षा ऋतु में यदि उत्तरी वायु प्रवाहित हो तो वर्षा अच्छी होगी, जिससे चावल की खेती भी अच्छी होगी और कुत्ते मांड़ पियेंगे.
वायु चलेगी पुरवा,
पियो माड़ का परवा.
अर्थात वर्षा ऋतु में यदि पुरवी हवा बहती हो तो बारिश अच्छी होती है. जिससे धान की खेती भी अच्छी होती है.
अवाझार चलै परवाई,
तब जानो वर्षा ऋतु आई.
अर्थात् यदि लगातार पूर्वी हवा प्रवाहित हो तो समझना चाहिए कि वर्षा ऋतु आ गयी.
उलटा बादर जो चढ़े,
विधवा खड़ी नहाय.
घाघ कहे सुन भण्डरी,
वह बरसे वह जाय.
अर्थात् यदि बादल उलटी दिशा में चलते हों और विधवा औरत खड़ी होकर स्नान करे तो यह समझना चाहिए कि वर्षा अवश्य होगी और वह विधवा औरत भी किसी के साथ निकल जायेगी.
उलटे गिरगिट ऊंचे चढ़े ,
बरखा होइ भूईं जल बढ़े.
अर्थात यदि गिरगिट ऊंचे स्थान पर उलटा चढ़ता हो तो निश्चित ही वर्षा होगी और पृथ्वी पय जल में वृद्धि होगी.
उत्तर चल के बदरा,
करे दखिन निशान.
कह दो अहिरा से
ऊपर करे बंथान.
अर्थात यदि बादल उत्तर की तरफ चलकर पुनः दक्षिण की तरफ रूख कर ले तो निश्चित वर्षा होगी.
ढ़ेले ऊपर चिल्ह जो बोलै,
गली गली में पानी डोले.
अर्थात् यदि खेत में ढेले के ऊपर बैठ कर चिल्ह पक्षी बोलती है, तो इतनी अधिक वर्षा होगी कि पानी गली गली में बहेगा.

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