भागवत कथा श्रवण से ज्यादा महत्वपूर्ण है सुनी बातों का अनुसरण

सुखपुरा (बलिया)। भागवत कथा श्रवण से सिर्फ मानव का ही नही बल्कि कथा स्थल के आस पास मौजूद पशु-पक्षियों,जीव- जंतुओ जिनके कानो तक कथा की आवाज पहुंच रही है, का कल्याण होता है. कथा श्रवण से अधिक महत्व है कि आप सब कथा मे कहे गये बातों का अनुशरण कर भगवान को नित्य हृदय से स्मरण करें. निश्चित रुप से आपका कल्याण होगा.

यह बातें कथा वाचिका साध्वी प्राची देवी ने कही. वह करम्मर में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार की शाम भक्तों को सम्बोधित कर रही थीं. कथा को विस्तार देते हुये कहा कि भक्त ध्रुव 5 वर्ष की उम्र में ही भागवत का ज्ञान प्राप्त कर लिए थे. ध्रुव ने 36000 वर्षों तक धरती पर राज किया. लेकिन ध्रुव जी के जीवन का जब अंतिम क्षण आया तो उन्होंने देखा कि उनके सामने एक सुंदर स्त्री खड़ी है. ध्रुव ने पूछा कि आप कौन हैं ? उस स्त्री ने जवाब दिया कि मैं मृत्यु हूं. आपको मैं ले जाने आई हूं. तब ध्रुव ने कहा कि आप सिर झुका कर क्यों खड़ी हैं. तब मृत्यु ने बड़ी विनम्रता से जवाब दिया कि मैं आपकी भक्ति के कारण सिर झुकाकर खडी हूं. आप मेरे सिर पर पैर रखकर स्वर्ग के तरफ प्रस्थान करें.

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कहा कि महाभारत का भीषण युद्ध हुआ. जिसमें दोनों पक्षों का काफी नुकसान हुआ. कहा कि व्यक्ति को 100 कार्यों को छोड़कर भोजन करना चाहिए, हजार कार्यों को छोड़कर स्नान करना चाहिए, लाख कार्यों को छोड़ कर दान करना चाहिए और करोड़ो कार्यों को छोड़कर भगवान का भजन करना चाहिए. भागवत में भगवान ने कहा है कि जहां धर्म है वहां जय है. वहां पर आ जाए तब कोई मेरे भक्तों को परेशान नही  करेगा यदि परेशान करेगा तो मैं उसको माफ नहीं करता. इस मौके पर समीम अहमद, झुनझुन लाल श्रीवास्तव, विरेन्द्र राम, राजाराम यादव, श्रीराम सिंह,  ग्राम प्रधान सुनीता सिंह, कांति देवी, माया देवी, कामाख्या सिंह, रिता सिंह, सीता देवी, योगेश सिंह, डा संजय सिंह, महेन्द्र प्रताप शुक्ला, बबन गिरी, राजेन्द्र यादव, शिवपरसन राजभर, जेपी सिंह, तेजबहादुर सिंह, हरिओम सिंह, राजेश सिंह, पंकज शुक्ला, विनोद सिंह, बसन्त सिंह, राकेश सिंह आदि लोग उपस्थित रहे.

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