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बिल्थरारोड (बलिया)। बिल्थरारोड की गंगा- जमुनी तहजीब को तार- तार करने वाली 5 अगस्त 2015 की बहुचर्चित दंगे की घटना में शुक्रवार को नया मोड़ आ गया. तत्कालीन थानाध्यक्ष नन्हेराम सरोज के बयान ने दंगे के निरीह लोगो को फर्जी फ़साने को लेकर हो रही शिकायतों को सही साबित कर दिया.
उभांव थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष नन्हेराम सरोज शुक्रवार को फास्टट्रैक कोर्ट संख्या 2 न्यायालय बलिया में तलब हुए. न्यायधीश वीर नेडियालाल के समक्ष निवर्तमान थानाध्यक्ष की गवाही हुई. थानाध्यक्ष नन्हेराम सरोज के समक्ष मुकदमे के आरोपित अभियुक्तों की परेड हुई. परेड में तत्कालीन थानाध्यक्ष सरोज किसी भी आरोपी को पहचान कर पाने में नकाम रहे. न्यायालय में थानाध्यक्ष नन्हेराम सरोज ने कई चौंकाने वाले बयान दिये. पुलिस उपाधीक्षक लक्षीराम यादव के घायल होने के मामले में थानाध्यक्ष नन्हेराम सरोज ने बयान दिया कि पुलिस उपाधीक्षक लक्षीराम यादव गुमटी से टकराकर घायल हुए थे.
ज्ञात रहे कि स्थानीय नगर के अम्बेडकरपुरी बस स्टेशन निवासी दलित नीरज की गत 4 अगस्त 2015 की शाम को निर्मम हत्या कर दी गयी थी. इस घटना के बाद अगले दिन 5 अगस्त को बस स्टेशन के समीप उग्र प्रदर्शनकारियों व पुलिस के बीच झड़प हुई. जिसमें पुलिस उपाधीक्षक लक्षीराम यादव समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गये थे. इस मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष नन्हेराम सरोज ने लगभग 54 लोगों के विरुद्ध नामजद व 200 से अधिक अज्ञात के विरुद्ध भादवि की धारा व् क्रिमिनल की धारा में मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने इस मुकदमे को लेकर 12 लोगो के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट की भी कार्रवाई की है. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस पर राजनीतिक दबाव में गलत तरीके से निरीह लोगो उत्पीड़ित करने की शिकायत किया गया था. तत्कालीन थानाध्यक्ष के न्यायालय में दिए गए बयान के बाद ये सारे आरोप सत्य साबित होते दिख रहे है.