सिकंदरपुर कहां गईं तिरे कूचों की रौनक़ें, गलियों से सर झुका के गुज़रने लगा हूं मैं

जनपद के उत्तरी भाग में स्थित सिकंदरपुर विधानसभा क्षेत्र शुरुआती दौर से ही कई मामलों में चर्चित रहा है. राजनीतिक रूप से जागरूक यह विधानसभा क्षेत्र शेरे बलिया ठाकुर शिवमंगल सिंह, पूर्व मंत्री जगरनाथ चौधरी जैसे हस्तियों की कर्मस्थली रही है. बावजूद इसके विकास के मामले में आज भी काफी पीछे है. विकास संबंधी काफी काम होने के बावजूद यहां के गांवों की सड़कें खस्ताहाल हैं. स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति दयनीय है. अस्पतालों में न तो आवश्यक दवाओं और चिकित्सकीय संसाधनों की समुचित व्यवस्था है, न ही उपचार के माकूल इंतजामात. जाहिर है स्थानीय अस्पताल रेफरल बने हुए हैं. मामूली रोग के लिए भी मरीजों को इलाज हेतु बलिया, मऊ, वाराणसी या अन्य स्थानों को जाना पड़ता है. सिकंदरपुर से संतोष शर्मा की विशेष रिपोर्ट

पूर्व सांसद जगरनाथ चौधरी (बाएं) व जंगली बाबा
ग्रामीण इलाकों की खस्ताहाल सड़कें हकीकत बयां कर रही हैं
उपेक्षा का शिकार है डूहां मठ
पीपा पुल को है पक्के पुल का इंतजार
कटान के चलते हर साल घाघरा लील जाती है उपजाऊ जमीन

विद्युत आपूर्ति की स्थिति संतोषजनक नहीं है. इसका मुख्य कारण अनेक स्थानों पर जर्जर तार और आवश्यक सामानों की अनुपलब्धता है. यहां की एक बड़ी समस्या घाघरा नदी के कटान की है, जिसकी ओर शासन और प्रशासन में बैठे लोगों का ध्यान नहीं जाता. कटान के कारण नदी किनारे की सैकड़ों बीघा क्षेत्रफल की उपजाऊ भूमि नदी में विलीन हो जाती है. क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा के नाम पर करमौता गांव में मात्र एक आईटीआई स्कूल स्थापित है. जहां सीटे काफी कम होने से यहां के युवाओं को अन्य स्थानों पर जाकर प्रशिक्षण लेना पड़ता है. यहां सदियों पुराना तेल व फूल उद्योग काफी चरम पर था. प्रशासनिक उपेक्षा व प्रोत्साहन के अभाव मे वह उद्योग आज दम तोड़ रहा है, जो बेकारी को बढ़ाने में सहायक बन रहा है.

यह सर जमीन ए दाता साहब के नाम से भी मशहूर है.

सिकंदरपुर पूर्व में गाजीपुर जनपद में था. 1889 में नए बलिया जनपद के सृजन के बाद इसे उसमें शामिल किया गया. नया जनपद बनने के बाद सिकंदरपुर को बांसडीह तहसील में शामिल किया गया. बाद में काफी संघर्ष व राजनेताओं के प्रयास से 1995 में सिकंदरपुर जनपद का नया तहसील बना. इस विधानसभा क्षेत्र में पूर्व में नवानगर व मनियर के संपूर्ण तथा बेरुवारबारी व पंदह के आंशिक गांव शामिल थे. 2011 के परिसीमन में नवानगर व पंदह के संपूर्ण तथा मनियर ब्लाक के आंशिक गांव शामिल किए गए. जिससे इसकी भौगोलिक स्थिति बदल गई. आज़ादी की लड़ाई में सीसोटार गांव के राजकुमार दुसाध के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने अपने कारनामों से अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे. उनकी दिलेरी व करवाइयों का ही फल है कि अंग्रेज सरकार ने उन्हें बाघ की पदवी दी थी.

ऐतिहासिक और पुरातत्विक धरोहरों से परिपूर्ण है सिकन्दरपुर विधानसभा -359 सिकन्दरपुर

  • चौहद्दी – पूरब में भागीपुर, पश्चिम में माल्दह, उत्तर में घाघरा नदी उस पार बिहार की सीमा(खरीद व डूहां बिहरा),
  • जनसंख्या – कुल 4,31,581, पुरुष 2,20,185 व महिलाएं 2,11,396
  • साक्षरता – कुल 71.31प्रतिशत, पुरुष 62 प्रतिशत, महिला 38 प्रतिशत
  • नगर पंचायत वार्ड – 15
  • गावों की संख्या – 106
  • लोहिया गांव – 14
फूल, तेल व गुलाब जल के निर्माण के लिए ही यहां की ख्याति रही है, जो अब मृतशय्या पर लेटा हुआ है

विधानसभा चुनाव 2012 – 359 सिकन्दरपुर

  • कुल मतदाता 2,88,101
  • 58,266 जियाउद्दीन रिजवी सपा (निर्वाचित)
  • 29,735 चन्द्रभूषण राजभर (बसपा)
  • 25,453 राजधारी (कांग्रेस)
  • 22,455 विनोद तिवारी (भासपा)

प्रमुख हस्तियां

  • संत जंगली बाबा
  • संत परमहंस
  • शाह वली कादरी
  • शायर नामिश व शेज सिकन्दरपुरी
  • स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू छोटेलाल राय

प्रमुख समस्यायें

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

  • विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं में सड़क-जलजमाव,परिवहन,बिजली व घाघरा नदी का कटान शामिल है।

प्रस्तावित योजनाएं

  • खरीद दरौली घाट पीपापुल

प्रमुख उद्योग

  • फूल, तेल व गुलाब जल

अस्पताल

  • दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बघुड़ी व पंदह. तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिकन्दरपुर, नवानगर व खेजुरी.
    आधा दर्जन आयुर्वेदिक अस्पताल

थाने

  • सिकन्दरपुर, खेजुरी, पकड़ी

इस क्षेत्र में मां जल्पा मंदिर, मां कल्पा मंदिर, ऐतिहासिक किला का पोखरा, श्री वनखंडी नाथ मड डूहिं,  अद्वैत शिव शक्ति धाम डूंहा. मां जल्पा देवी की धरती के नाम से यहां की ख्याति है. यह सर जमीन ए दाता साहब के नाम से भी मशहूर है. कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसी धरती के कठौड़ा घाट से घाघरा नदी को पार कर बिहार व बंगाल पर आक्रमण कर विजय श्री पाया था. इसलिए बाद में उस घाट का नाम क़ुतुबगंज घाट पड़ा. यहां की गुलाब शर्करी विश्व प्रसिद्ध है. यह गुलाब के फूल की खेती व गुलाब जल बनाने के लिए प्रसिद्ध है.

कुल मतदाता – 2,85,968, पुरुष 1,57,337  व महिलाएं 1,28,630

Click Here To Open/Close