अब बहू मजबूत करेगी राजनीतिक जमीन        

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इलाहाबाद से आलोक श्रीवास्तव

करवरिया परिवार से नीलम करवरिया को भाजपा ने दिया मेजा विधानसभा क्षेत्र से टिकट. पति उदयभान करवरिया हत्या के मामले में जेल में हैं बंद. बारा से वे विधायक रह चुके हैं. भाजपा ने नीलम करवरिया को मेजा विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा है. नीलम पिछले दो साल से क्षेत्र में प्रचार-प्रसार में लगीं थीं. ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र होने का फायदा उन्हें मिल सकता है. करवरिया परिवार का पृष्ठभूमि राजनीतिक रही है, लेकिन एक हत्या के मामले में पूरा परिवार जेल में है. नीलम की जीत करवरिया परिवार को राजनीतिक संजीवनी दे सकता है.

13 अगस्त 1996 को झूंसी से सपा विधायक रहे जवाहर पंडित की सिविल लाइन्स में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पंडित के परिवार ने उदयभान करवरिया, उनके बड़े भाई कपिलमुनि करवरिया और सूरजभान करवरिया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई. राजनीतिक रसूख और दबंगई का परिणाम रहा कि 20 साल तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव ने हार नहीं मानीं. अंततः कोर्ट ने तीनों भाइयों को जेल भेज दिया. दो साल से सभी जेल में हैं.

विजमा यादव वर्तमान में फूलपुर से सपा विधायक हैं और पुनः इसी दल से मैदान में हैं. उदयभान करवरिया 2002 से 2012 तक बारा क्षेत्र से भाजपा विधायक रहे हैं. 2012 में यह सीट सुरक्षित हो गई. इसके बाद उन्होंने शहर उत्तरी का रुख किया, लेकिन कांग्रेस के अनुग्रह नारायण सिंह से हार गए. बड़े भाई कपिलमुनि करवरिया फूलपुर से बसपा सांसद थे, पर 2014 के लोकसभा चुनाव में हार गए. सूरजभान एमएलसी थे. हत्या के मामले में सभी भाइयों के जेल जाने से राजनीतिक जमीन खिसकती गई. नीलम करवरिया को मेजा से भाजपा से टिकट मिलने से उम्मीद है कि परिवार को ये जमीन पुनः मिल जायेगी.

इसी क्रम में मेजा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से टिकट न मिलने से नाराज आनन्द कुमार उर्फ़ कलक्टर पाण्डेय ने अपना इस्तीफा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य को भेज दिया है. पाण्डेय 18 दिन पहले 8 जनवरी को सपा से भाजपा में आये थे. पूरी तरह आशान्वित थे कि टिकट उन्हीं को मिलेगा पर भाजपा ने नीलम करवरिया को टिकट दे दिया. उनका कहना है कि 28 जनवरी को वे अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर अगला कदम उठाएंगे. चर्चा है कि टिकट नहीं मिला तो कुछ ही दिन में आस्था डगमगा गई.