सिन्धु दर्शन तीर्थ यात्रियों को मिलेगी आर्थिक सहायता

बलिया। लेह लद्दाख स्थित सिन्धु दर्शन की तीर्थ यात्रा से होकर लौटने वाले उत्तर प्रदेश राज्य के मूल निवासियों को राज्य सरकार की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी.

जिलाधिकारी गोविन्द राजू एनएस ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मूल निवासियों में से 100 की सीमा तक, जो वर्तमान में भी प्रदेश में निवास कर रहे हो, को उत्तर प्रदेश  सरकार द्वारा प्रति व्यक्ति रुपये 10.000 (दस हजार) की धनराशि अनुदान स्वरूप दी जाएगी. इसके लिए आवेदक द्वारा सक्षम स्तर से निर्गत निवास प्रमाण पत्र की प्रमाणित छाया प्रति प्रस्तुत करना अनिवार्य है. अनुदान वर्तमान लागू प्रक्रिया के अनुसार यात्रा में सम्मिलित होने वाले तथा यात्रा पूर्ण करने वाले यात्रियों को ही देय होगा. बताया कि अनुदान की धनराशि यात्रा के पूर्ण होने के उपरान्त पूर्ति योग्य होगी. जीवन काल में किसी यात्री को एक ही बार अनुदान दिया जाएगा. अनुदान की सुविधा मामले में बजट प्राविधानित धनराशि तक ही यात्रियों को देय होगी तथा सीमित रहेगी.

जिलाधिकारी ने कहा है कि यात्रा में सम्मिलित यात्रियों को यात्रा समाप्त होने के पश्चात् तीन माह के अन्दर उत्तर प्रदेश के मूल निवासी प्रमाण पत्र के आधार पर अनुदान स्वीकृत किया जायेगा. यात्रियों को दी जाने वाली सहायता राशि की सम्पूर्ण धनराशि महानिदेशक पर्यटन के पास होगी. धर्माथ कार्य विभाग द्वारा प्राप्त आवेदन पत्रों की संवीक्षा कर यात्रियों की सूची महानिदेशक पर्यटन को उपलब्ध करायी जायेगी, तत्पश्चात् पात्र आवेदकों के नाम का पृथक-पृथक चेक महानिदेशक पर्यटन द्वारा धर्मार्थ कार्य विभाग को उपलब्ध कराया जायेगा.बताया कि चेकों का वितरण धर्मार्थ कार्य विभाग द्वारा किया जायेगा.

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किसी यात्री की मृत्यु होने की दशा में पत्नी/पति या आश्रित के द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर अनुदान की प्रतिपूर्ति विचारोंपरान्त निर्णय लिया जायेगा. कहा कि आवेदन पत्र पर यात्री का नाम, पिता/पति का नाम, व्यवसाय, निवास स्थान का पूर्ण पता, दूरभाष नम्बर, लेह लद्दाख  स्थित सिन्धु दर्शन की यात्रा पूर्ण करने का प्रमाण पत्र, यात्रा पर हुए व्यय का विवरण, लेह लद्दाख की क्या प्रथम यात्रा है या नही, पहचान पत्र, स्थान, दिनांक सहित भरकर आवेदक के हस्ताक्षर सहित सचिव/प्रमुख सचिव, धर्मार्थ कार्य विभाग, उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ को तीन माह की अवधि तक प्रस्तुत करना होगा. बताया कि अभिलेखों की छायाप्रति राजपत्रित अधिकारी से प्रमाणित कराना अनिवार्य है.