घाघरा की खौफनाक लहरें लाल निशान छूने को बेताब

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बलिया लाइव ब्यूरो

बलिया। मंगलवार को अपराह्न जलस्तर 61.590 मीटर  दर्ज किया गया, जो लाल निशान 64.010 मीटर से 2.420 मीटर कम है. सोमवार को घाघरा का जलस्तर 61.155 मीटर दर्ज किया गया था. यह केंद्रीय जल आयोग का आंकड़ा है. पांच दिन तक लगातार घटाव पर रही घाघरा नदी के जलस्तर में बहुत तेजी से वृद्धि शुरू हो गई है. इसी के साथ कई स्थानों पर कटान से उपजाऊ भूमि नदी में समाती जा रही है. घाघरा के जलस्तर में वृद्धि का क्रम देखकर तटवर्ती बाशिंदों के होश उड़ गए हैं. पिछले 24 घंटे में नदी के जलस्तर में 0.435 मीटर की अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. करीब 60 डिसमिल ऊपजाऊ भूमि कटान की भेंट चढ़ चुकी है. उधर डुंहा स्थित बनखंडी नाथ मठ की सुरक्षा के लिए कुछ महीने पहले सुरक्षा कवच के ध्वस्त हो जाने से स्थानीय साधु-संतों की भी नींद हराम हो गई है. बहराइच से मिली सूचना के मुतिबक बैराजों से सवा 2 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से ने घाघरा ने रौद्र रूप धारण कर लिया है.

बेल्थरा बाजार, सोनबरसा, हल्दीरामपुर में खलबली

केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक सोमवार को पूर्वाह्न जलस्तर में स्थिरता के बाद वृद्धि शुरू हो गई है. पहले जलस्तर में एक से डेढ़ सेमी वृद्धि का सिलसिला चल रहा था. मंगलवार की दोपहर से ही चार सेमी प्रतिघंटे की रफ्तार से वृद्धि हो रही है. जलस्तर में लगातार हो रहे वृद्धि से तटवर्ती चैनपुर दिलवरा, तूर्तीपार, मुजौना, उभांव, करीमगंज, मठिया, महुआतर, सबुनियां, खैराखास, बेल्थरा बाजार, सोनबरसा, हल्दीरामपुर आदि तटवर्ती क्षेत्रों में खलबली मची हुई है. इसी तरह अगर जलस्तर बढ़ता रहा तो जलस्तर लाल निशान को पार कर जाएगा.

बाढ़ से आम लोगों को बचाने के मुकम्मल इंतजाम – एडीएम

उधर, पहिया में कटान शुरू हो जाने से पिछले एक पखवारे में कुल पांच एकड़ भूमि नदी की धारा में विलीन हो चुकी है. कटान धीरे-धीरे आबादी की ओर बढ़ रही है. ऐसे में यादव बस्ती और ऐतिहासिक रामलीला मंच के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है. गंगा, घाघरा व टोंस नदियों के जलस्तर में हो रहे वृद्धि पर निगरानी रखने के लिए कुल 33 बाढ़ चौकियां बनाई गई है. एडीएम बच्चालाल मौर्य ने बताया कि बांसडीह तहसील में चांदपुर दियर, जूनियर हाईस्कूल मनियर, जूनियर हाईस्कूल सुल्तानपुर, सिंचाई विभाग कार्यालय पर्वतपुर, केवसर, रसड़ा तहसील में टोंस  नदी के जलस्तर की निगरानी के लिए प्रधानपुर, लखनेश्वरडीह,  कुरेम, सराय  भारती,  नगपुरा, बैरिया तहसील क्षेत्र में बहुआरा,  नौरंगा, कोड़हरा, नौबरार,  दयाछपरा, रामपुर कोड़हरा, भुसौला में चौकियां बनाई गईं हैं. जबकि घाघरा के जलस्तर पर निगरानी के लिए  बेल्थरारोड तहसील क्षेत्र में तुर्तीपार, टंगुनिया, हल्दीरामपुर, तेलमा जमालउद्दीनपुर,  शिवाल, शिवपुर, रामपुर, चांददियर, गोपाल नगर, वशिष्ठ नगर, भिंडकुंड, चैनपुर गुलौरा, बेल्थरा बाजार, बहुता चक, चौकिया मोड़ को बाढ़ निगरानी चौकी बनाई गई है. चौकियों पर विशेष रूप से प्रशासनिक अधिकारियों  एवं कर्मचारियों की तैनाती कर दी गई है. इन चौकियों से नदियों के जलस्तर में वृद्धि को लेकर खास नजर रखी जाएगी. बाढ़ से आम लोगों को बचाने के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं.

घाघरा ने उड़ाई पूरे सूबे की नींद

  • गंगा व घाघरा के कटान का दंश झेलना द्वाबा (बलिया) के लोगों की भी नियति बन गई है. प्रति वर्ष बसना व उजड़ना लोगों के जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. बाढ़ व कटान से निजात दिलाने के लिए सरकार ने अब तक अरबों रुपये खर्च किए होंगे, लेकिन नतीजा सिफर है.
  • तराई व नेपाल के पहाड़ों पर हो रही भारी वर्षा से घाघरा नदी का जलस्तर तेजी के साथ बढ़ा है. बहराइच में तो कई गांवों के अस्तित्व पर संकट के बादल मडरा रहे हैं. घाघरा ने महसी तहसील क्षेत्र के गांवों में कहर बरपाना शुरू भी कर दिया है.
  • सीतापुर में घाघरा  के बढ़ते जल स्तर ने तमाम गांवों में हड़कंप मचा दिया है. कुछ गांव टापू बनने के मुहाने पर हैं तो कुछ में पानी इतना बढ़ गया है कि कटान जैसे हालात कभी भी शुरू हो सकते हैं.
  • बस्ती के दुबौलिया विकास खंड क्षेत्र से गुजरती है घाघरा नदी. वर्ष 1995  में विक्रमजोत-धुसवां तटबंध के किनारे नदी और बांध के बीच बसे लगभग दर्जन भर गांवों की सुरक्षा के लिए मोजपुर-किशुनपुर रिंग बांध बनाया गया था. उसकी जर्जर हालत को भांप कर ग्रामीणों ने खुद मोर्चा संभाल लिया है.
  • आजमगढ़ में सगड़ी तहसील से होकर गुजरने वाली घाघरा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ना शुरू हो गया है. इस वजह से देवारावासियों की धड़कने बढ़ने लगी हैं. पिछले बारह घंटे में घाघरा के जलस्तर में 34 सेमी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
  • देवरिया में पंद्रह घंटे के भीतर नदी के जलस्तर में करीब 65 सेमी की वृद्धि दर्ज की गई है. थाना घाट पर बने मापक पर घाघरा 64.25 मीटर पर प्रवाहित हो रही थी. पानी बढ़ने के बाद दक्षिणी किनारे के साथ-साथ उत्तरी तट पर भी नदी का दबाव बढ़ा है. राजपुर देवार, विशुनपुर देवार, परसिया कूर्ह देवार के साथ ही कपरवार संगम तट से परसिया कूर्ह तक घाघरा की लहरें कृषि योग्य भूमि निगल रही हैं.