उगु न सुरुज देव भइलो अरग के बेर

बलिया। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के षष्टी तिथि को मनाए जाने वाले प्रकृति व लोक आस्था के त्योहार छठ का व्रत रखकर महिलाएं रविवार को निर्जल व्रत रखकर अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना कर पुत्रों की दीर्घायु की कामना की.

भृगुमंदिर परिसर में छठ महोत्सव का नजारा
भृगुमंदिर परिसर में छठ महोत्सव का नजारा

इस दौरान शहर के प्रमुख तालाबों, पोखरों व अस्थाई पोखरों पर उत्सव सरीखा माहौल रहा. नगर क्षेत्र में रामलीला मैदान टाउन हाल तथा महावीर घाट गायत्री मंदिर पर आस्था महान लोगों की भारी भीड़ रही. बच्चों से लेकर बड़े तक, सभी ने छठ पर्व के उत्सव में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद महिलाओं ने पोखरी वह नदियों के तट पर परिजनों के साथ छठ मैया की वेदी पर पूजा अर्चन किया. जहां उत्सव जैसा माहौल रहा.

छठ मइया को मनाने का कोई मौका नहीं चुकना चाहते थे भृगु क्षेत्र के श्रद्धालु
छठ मइया को मनाने का कोई मौका नहीं चुकना चाहते थे भृगु क्षेत्र के श्रद्धालु

इस दौरान जिला मुख्यालय पर मंदिरों के किनारे निधि स्थित शिव मंदिर, हनुमान मंदिर, अन्य पवित्र स्थानों पर अस्ताचल सूर्य को महिलाओं ने श्रद्धापूर्वक अर्घ्य दिया. एक स्थान पर बैठकर सभी ने पूजा अर्चना किया और कलश स्थापित किया है. बहुत सी महिलाओं ने जल में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हुए मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना की. सूर्यास्त के बाद वहां से वापस आकर व्रत रहने वाली माताओं ने कोसी भरी, जो सूर्य का प्रतीक माना जाता है. व्रती महिलाओं ने विभिन्न सामग्री सामग्री एकत्र कर सूर्य भगवान को अर्पण किया. कोसी पूजन के समय दौरा सूप, चावल, हल्दी का लेप तैयार किया गया.

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उदीयमान सूर्य को अर्घ्य आज

छठ पर्व के दूसरे दिन सोमवार को प्रातः घाटों पर महिलाएं भगवान भास्कर को अर्घ्य दीं. इसी के साथ छठ महोत्सव का समापन हो गया.