पूर्व प्रधानमंत्री को कचोट गया था गौरी भईया का यूं अचानक चले जाना

स्वाधीनता आंदोलनकारियों के लिए उर्वरा माटी बागी बलिया के सागरपाली की धरती पर जन्म लिए थे गौरी भईया. समाजवादी संत परम्परा के मूर्धन्य विभूति पूर्व मंत्री स्वर्गीय गौरी भईया की आज पुण्यतिथि है.

बच्चों में बंटी मिठाई, निलय व रेखा ने दी जननायक को भावभीनी श्रद्धांजलि

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की जयंती पर जेपी ट्रस्‍ट के प्रांगण में स्थित चंद्रशेखर कक्ष में भी पुष्‍पांजलि देने के सांथ, ट्रस्‍ट के व्‍यवस्‍थापक अशोक कुमार सिंह की ओर से बच्‍चों में मिठाइयां वितरित की गई.

नहीं भूलती जेपी के घर चंद्रशेखर की वह आखिरी शाम

राजनीति के इस बिगड़े स्‍वरूप के बीच चंद्रशेखर ही एक ऐसे राजनेता थे, जिनके लिए कभी जन-जन रो पड़ा. जी हां बात 10 अक्‍टूबर 2006 की है, जब चंद्रशेखर आखिरी बार जयप्रकाशनगर आए थे.

जेपी के क्रांति मैदान में मानव श्रृंखला बनाकर कहा नशे को ‘ना’

आज दूसरी बार उसी मैदान में राज्‍य सभा सांसद हरिवंश के संग संपूर्ण सिताबदियारा वासी शराब बंदी कानून के समर्थन में एक सांथ खड़े हुए. इसमें स्‍कूली बच्‍चों के सांथ-सांथ आमलोगों ने भी खुलकर सांथ दिया.

टाउन हॉल बलिया में खादी प्रदर्शनी में उमड़ रही भीड

टाउन हॉल बलिया में प्रारंभ 10 दिवसीय खादी और ग्रामोद्योग प्रदर्शनी में विभिन्न प्रकार के उत्पाद बलिया वासियों को आकर्षित कर रहे हैं. खादी वस्तुओं पर 30 फीसदी की भारी छूट होने के कारण खादी के जयपुरी रजाई, गद्दा, कंबल, शॉल, सदरी, शर्ट एवं रंग-बिरंगे कपड़े युवाओं को बहुत पसंद आ रहे हैं.

बकुल्हाः न एक्सप्रेस ट्रेनें रूकीं, न जनता मानी

सुरेमनपुर और मांझी के बीच स्थित बकुल्हा रेलवे स्टेशन के तकदीर को संवारने की चर्चा वर्षों से चल रही है, किंतु इसकी न तो दशा सुधरी और न ही वर्षों पुरानी इस क्षेत्र की जनता की मांग पूरी हो सकी. यहां एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग भी विगत डेढ़ दशक से हो रही है.

नेशनल अवार्ड से सम्मानित होगा जेपी प्रौद्योगिकी केंद्र

स्थानीय जेपी ट्रस्ट द्वारा संचालित जयप्रकाश नारायण ग्रामीण प्रौद्योगिकी केंद्र को खादी और ग्रामोद्योग आयोग (सूक्ष्म लघु मध्यम उद्यम मंत्रालय) भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2014-15 के वेस्‍ट इंस्‍टीटयूशनल ट्रेनिंग सेंटर ऐट नेशनल लेवल अवार्ड के लिए चयनित किया गया है.

अपने गांव-घर में बड़ी शिद्दत से याद किए गए जेपी

आज एक तरफ विजयी दशमी का मेला था, वहीं दूसरी ओर लोकनायक की जयंती. सुबह आठ बजे ही जयप्रकाशनगर की गलियां-जब तक सुरज चांद रहेगा, जेपी तेरा नाम रहेगा, के नारों से गुंज उठी. यहां जेपी ट्रस्‍ट के द्धारा ही संचालित आचार्य नरेंद्र देव बाल विद्या मंदिर के बच्‍चे और शिक्षक शिक्षिकाओं ने प्रभात फेरी निकाल कर जेपी को याद किया.

सिर्फ सियासी फायदे के लिए, याद आते हैं जेपी

आज संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती है. धार्मिक दृष्टिकोण से आज दशहरा भी है. आज ही के दिन राम ने रावण वध किया था. वहीं आज ही दिन 11 अक्‍टूबर को सिताबदियारा की धरती पर एक ऐसे लाल का जन्‍म हुआ, जिसके कारनामों से भारतीय इतिहास आज भी गौरवांतित होता है.

गदकाः शक्ति के दरबार में शौर्य का प्रदर्शन

दलजीत टोला में शेर ए काली क्‍लब के द्धारा आयोजित दुर्गा पूजा में गदका एक विशेष कार्यक्रम है. शाम के समय डंके की गड़गड़ाहट पर एकम के दिन से ही जब बच्‍चों से लेकर बुजुर्ग तक गदका खेलने उतरते हैं तो उनके शौर्य को देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती है.

बुढ़ा चला है जनेऊ तोड़ो आंदोलन का चश्मदीद

आज संपूर्ण क्रांति आंदोलन के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्‍य तिथि है. हम एक दिन पूर्व जेपी के पैतृक गांव सिताबदियारा में थे. आज हम बिहार सीमा के अंदर सिताबदियारा के चैन छपरा में स्थित जेपी के उस क्रांति मैदान में भी पहुंचे, जहां 1974 में ही लगभग 10 हजार लोगों ने जेपी के सांथ मिलकर जनेऊ तोड़ो आंदोलन का शंखनाद किया था.

दशहरे की धूम में कहीं गुम न हो जाएं जेपी

लंबे समय बाद इस वर्ष जेपी जयंती के दिन दशहरा है. यह अवसर शायद ही कभी आया हो, जब जेपी जयंती और विजया दशमी एक सांथ दस्‍तक दी हो. जेपी का जन्‍म 11 अक्‍टूबर 1902 को दशहरे के दिन ही हुआ था. इस वर्ष सब कुछ सेम-सेम है. हालांकि सिताबदियारा में अभी तक इसको लेकर कोई हलचल नहीं है.

लोकनायक के गांव जवार वाले मामूली इलाज के भी मोहताज

मंगलवार को मुन्ना यादव की तबियत अचानक खराब हो गई. उसके युवा साथी उसे लेकर सिताबदियारा के छोटका बैजू टोला स्थित स्वास्थ्य केंद्र पर गए. वहां न कोई स्टाफ था, न कोई डॉक्टर. वह युवक पेट दर्द के मारे कराहे जा रहा था. उल्टियां भी हो रही थी. अस्पताल में जब कोई नहीं मिला तो युवक भड़क उठे और वहीं नारेबाजी करने लगे.

चंद्रशेखर के कारण बना जेपी स्मारक

अद्भुत संकल्प, अटूट निष्ठा और अनवरत प्रयास का नतीजा है, जयप्रकाश नगर (जेपी की जन्मभूमि) में जेपी स्मारक. अकेले चंद्रशेखर के साहस और निष्ठा से ही जेपी की जन्मभूमि में अनूठा स्मारक बनाने का स्वप्न साकार हुआ है. वस्तुत: यह स्मारक असंभव कल्पना का साकार रूप है, जो घोर देहात के वाकिफ नहीं हैं, उन्हें बिना यहां का भूगोल जाने शायद इस कथन पर यकीन न हो. हिंदुस्तान की दो मशहूर नदियों गंगा और घाघरा के बीच बसा है सिताबदियारा. यहीं दोनों नदियों का संगम भी है.