माई बिसरी, बाबू बिसरी, पंचकोशवा के लिट्टी-चोखा नाहीं बिसरी

इसे सनातन धर्म की आभा कहें या बक्सर जिला वासियों का संस्कृति से लगाव. बिहार का बक्सर जिला यहां एक दिन बहुत ही खास होता है. इस तिथि को बीस लाख से अधिक लोग एक ही साथ भोजन करते हैं. अगहन कृष्ण पक्ष की इस तिथि को लोग पंचकोश के नाम से जानते हैं. पांच दिनों का मेला जिस दिन समाप्त होता है, उस दिन हर घर में एक ही भोजन बनता है.

क्या तेरा है क्या मेरा है, सारा जहां खुदा का है

जी हां, ऐसा लिखने की वजह कुछ और नहीं, आपसी एकता और भाइचारा है. बुधवार को जब बक्सर शहर के चरित्रवन इलाके में दूर-दराज से आए मेलार्थी पहुंचे तो नजारा देखने लायक था.

बक्सर का लिट्टी चोखा मेला कल से

पंचकोशी परिक्रमा सह पंचकोश मेला इस माह की उन्नीस तारीख से प्रारंभ हो रहा है. जिसका शुभारंभ शनिवार को अहिरौली से होगा. विश्व विख्यात बक्सर के इस मेले को लोग लिट्टी-चोखा मेला के नाम से जानते हैं. यह मेला अब बक्सर जिले की पहचान बन चुका है. अन्य प्रदेशों और जिलों में बसे लोग इस तिथि को हर दम याद रखते हैं.