हरि को भजे सो हरि का होई: पं.श्रीकांत शर्मा

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सात दिवसीय भगवत कथा का समापन

बलिया। भगवान सदन में आने वालों का कल्याण करते हैं. जो भी उनकी शरण में आ जाता है उसका कल्याण होता है. सदन में आने वालों के कल्याण के लिए भगवान अपने ऊपर कलंक तक ले लेते हैं. लेकिन शरणागत को निराश नहीं करते हैं.

भगवान को जिसने भी स्वीकार किया, वह भगवान का हो गया. इसलिए कहा गया है कि हरि को भजे सो हरि का होई. भगवान शरणागत को स्वीकार करने के साथ-साथ समाज में उनके सम्मान की प्रतिष्ठा भी करते हैं. भगवान कृष्ण की आठ पटरानियां और 16108 रानियां थी.

कर्मकांड के 16100 मंथ हैं. उन्होंने भगवान के साथ मेरा मन की इच्छा व्यक्त की थी. इसके बाद वह कन्या के रूप में धरती पर आ गए. इन 16100 कन्याओं को भामाशाह नामक एक असूल ने बंदी बना लिया था. भगवान ने इस अशोक को मारकर उनका उद्धार किया.

इसके बाद इन कन्याओं को उनके घर भेजने का प्रस्ताव दिया. तब उन्होंने कहा कि ये सूर्य के जेल में रह चुकी है. समाज में उन्हें विवाह के लिए कौन स्वीकार करेगा और समाज में प्रतिष्ठा दिलाएगा. जिसको कोई स्वीकार नहीं करता है उसे भगवान स्वीकार करते हैं.

इन कन्या को समाज में प्रतिष्ठा दिलाने के लिए भगवान श्री पुरुषोत्तम श्री कृष्ण जी ने अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि इस तरह से भगवान ने यहां शिक्षा दी कि जो भी उनकी शरण में आएगा उसका कल्याण होगा.

भगवान का भजन करने वालों की व्यवस्था खुद भगवान करते हैं. सब को भोजन देने के बाद ही भगवान खुद भोजन करते हैं.  राम और कृष्ण दोनों ने ही नारी के सम्मान की रक्षा की.

श्री राधा माधव सेवा मण्डल एवं मस्ती श्री वृंदावन धाम की व्हाट्सएप्प ग्रुप की तरफ से आयोजित टाउनहाल में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के कथा के समापन के दिवस पर प्रवचन देते हुए बाल व्यास पंडित श्रीकांत जी शर्मा जी के पंडाल में आए हजारों के संख्याओं में माता और बहनों के बीच में अपने ओजस्वी और अलौकिक वाणी के द्वारा समस्त से बलिया वासियों को मंत्रमुग्ध कर दिए.
वही कथा के दौरान कृष्ण सुदामा मिलन का मंचन हुआ , श्रीकृष्ण और राधा के दुबारा मिलन की कथा सुन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु की आंखे नम हो गयी.  वही महाराज जी द्वारा भजन की प्रस्तुति के समय भक्त झूमने लगे.
रविवार की कथा के दौरान रुक्मणी कृष्ण विवाह की शादी की झांकी का मंचन हुआ. जिसमें श्रीकृष्ण की बारात निकली और रुक्मिणी ने भगवान के गले मे हार डाला शादी की खुशी में सभी भक्त गीत गाते हुए जमकर झूमें.  वही भगवान की इस जोड़ी से आशीर्वाद लेकर अपने को धन्य समझा. कथा की समाप्ति के बाद भंडारे का आयोजन हुआ.