जानवरों की बोली जानते थे यश बाबा

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दोपही स्थित पंचमंदिर स्थान पर पूरी होती है मन्नतें

वार्षिक पूजनोत्सव पर विशेष

हल्दी (बलिया) से सुनील कुमार द्विवेदी 

जिला मुख्यालय से करीब साढ़े 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दोपही (अगरौली) पंच मंदिर धाम यश बाबा मंदिर पर हर साल हजारों लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं. यश बाबा की महिमा का जिक्र प्रसिद्ध संत देवराहा बाबा व त्रिदंडी स्वामी ने भी किया है. जिसका जिक्र यश बाबा की महिमा नामक पुस्तक में किया गया है. यश बाबा व उनके भाई मनियार बाबा ने अपनी बहादुरी के बल पर दुश्मनों से हल्दी राज की रक्षा भी की थी. स्थानीय लोगों की माने तो आज भी समय- समय पर लोगों को वे प्राकृतिक संकट व अन्य आपदाओं से मुक्ति दिलाते हैं.

संवत 1630 के सावन मास में अगरौली ग्राम के ब्राम्हण दंपत्ति अनजान दुबे व अनामिका दुबे के घर यश दुबे का जन्म हुआ था और उनके छोटे भाई मनियार बाबा का जन्म 1634 हुआ था. यश बाबा का 16 वर्ष की उम्र में दलन छपरा वाजिदपुर में विवाह हुआ. कुछ ही दिनों बाद उनके पिता अनजान दुबे का निधन हो गया. 1654 में बाबा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. यश दुबे सामान लाने के लिए भरसर बाजार गए थे. सामान लेकर लौट रहे थे तभी बाघ ने रास्ते में रोक लिया. वह यश दुबे पर आक्रमण की मुद्रा में था. यश दुबे जानवरों की भाषा व बोली जानते थे. वह खुशी के मौके पर बाघ से लड़ाई करना नहीं चाहते थे. बार-बार आग्रह के बाद बाघ इस शर्त पर रास्ता छोड़ने को तैयार हुआ कि सामान रखकर फिर लौट आएंगे. इसके बाद वह सीधे घर पहुंचे और सामान रखकर बिना किसी से कुछ बताएं बाघ को दिए वचन के मुताबिक उसके पास पहुंच गए.

बाघ ने बाबा को देखते ही झपट्टा और प्रहार शुरू कर दिया. यश दुबे बाघ के हर वार से बचते हुए प्रहार करने लगे पुत्र मोह व परिवार की याद आई तो कुछ देर के लिए विचलित हो गए. इस बीच बाघ को मौका मिला और उसने प्रहार कर दिया. यश दुबे बाघ के प्रहार से बच नहीं सके और वही धराशाही हो गए. उधर, उनके भाई मनिहार दुबे को अपशगुन महसूस हुआ तो उन्हें खोजने निकल पड़े. सामने बाघ पड़ गया तो उसने भी लड़ाई शुरू कर दी. कई घंटे तक मुकाबला चला अचानक मनिहार दुबे की नजर बड़े भाई की लाश पर पड़ी तो कराह उठे. इसी बीच बाघ ने उन पर भी प्राणघातक हमला कर दिया.

मृत्यु के कुछ वर्षों के बाद सपने दिखाने पर गांव वालों ने दोनों भाइयों का स्थान बना दिया. बाबा का स्थान दोपही अगरौली के अलावा फरसाटाड़, किशुनीपुर, मझौवा, दोकटी तथा बिहार के देवकुली ब्रहमपुर के पास हीरा पांडेय के टोला व पटना में घंटाघर के पास है. मंदिर में यश बाबा, मनियार बाबा के साथ ही दुर्गाजी, लक्ष्मी जी, संतोषी मां, राधे कृष्ण तथा हनुमानजी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है.

आज होगा यश बाबा के भक्तों का जमावड़ा
दोपही-अगरौली स्थित पंच मंदिर धाम यश बाबा स्थान पर चार अगस्त दिन शुक्रवार को भक्तों का जमावड़ा होगा. वार्षिक पूजनोत्सव सुबह से ही विद्वान पंडितों के द्वारा विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन-अर्चन किया जायेगा. दिन में कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है, जबकि शाम को भोजपुरी गायको बिहार के छपरा निवासी अजीत हलचल और बक्सर के बुढा व्यास के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न होगा. जिसमें दर्जनों गांवों के लोगों शामिल होंगे.