…मगर क्या इतने भर से दिलीप यादव हत्याकांड का खुलासा हो गया?

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बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र

बैरिया में पूर्वान्चल बैंक का ग्राहक सेवा केन्द्र संचालक दिलीप कुमार यादव की बोरे में बंधी लाश बरामद कर ली गई है. इस मामले में पुलिस ने जयप्रकाश यादव निवासी गोपालनगर थाना रेवती और प्रेमप्रकाश सिंह उर्फ राजा सिंह निवासी मठ योगेन्द्र गिरी थाना बैरिया को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया है. मगर क्या इतने भर से मामले का खुलासा हो गया?

यह सवाल इस वजह से भी मौजूं है कि पुलिस की बताई स्टोरी पब्लिक को हजम नहीं हो रही. लोगों का कहना है कि मात्र दो लोग ही हत्या कर लाश और उसके समानों को दो बोरों में भरकर कैसे घटना स्थल से पांच किमी दूर फेंक आए? इसके बाद वे इत्मीनान से दिलीप की बाइक और अन्य समान घटना स्थल से 10 किमी दूर धतुरीटोला गांव के पास एक खेत मे खड़ी कर दिए. इसमें कुछ अन्य लोगों की संलिप्तता की आशंका है. पुलिस उन्हें क्यों नहीं आरोपी बना रही है? इलाके में यह चर्चा का विषय बना हुआ है.

उल्लेखनीय है कि दिलीप यादव की हत्या के दोनों आरोपी जयप्रकाश व प्रेम प्रकाश को मठ योगीन्द्र गिरी चट्टी के पास शिवमंदिर के निकट से मंगलवार की शाम उस समय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जब वे दोनों किसी वाहन से बिहार भागने के फिराक में थे. दोनों आरोपियों ने मृतक के साथ पकौड़ी खाने, शराब पीने व नशे के हालत में दिलीप की हत्या करने और शव को ठिकाने लगाने के लिए बोरे में भरकर फेकने की बात स्वीकार कर लिया है. किंतु लोगों का कहना है कि इस मामले के और तह में जाने की जरूरत थी. केवल कहासुनी के चलते नशे की हालत में दिलीप की हत्या की कहानी पर लोग सवाल उठा रहे हैं.

दिलीप के पिता की शिकायत है कि बैरिया पुलिस चाहती तो उनके बेटे की जान बच जाती, किन्तु पुलिस ने उन लोगों की शिकायत पर गुमशुदगी दर्ज कर टरका दी. उनका पुत्र शुक्रवार को लापता हुआ था और शव मंगलवार को मिला. किन्तु शव देखने से यह नहीं लगा कि दिलीप की हत्या पांच दिन पहले की गई है. उनका बेटा तो चला गया, वह लौट कर अब नहीं आएगा, किन्तु आगे से ऐसे मामले में पुलिस गम्भीरता बरते. ऐसे मामले में पुलिस अधीक्षक को चाहिए कि मातहतों को सख्त निर्देश दें कि ऐसे मामले में मात्र गुमशुदगी ही दर्ज नहीं किया जाए, बल्कि पीड़ितों की शिकायत को गम्भीरता से लेते हुए उचित कार्रवाई तत्काल किया जाए.