वाहन चालान जनता के लिये काला कानून :रामगोविंद चौधरी

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि भले ही देश के नीतिनियन्ता बर्बाद अर्थव्यवस्था से ध्यान भटकाकर नई वाहन नीति से वसूले गए भारी जुर्माने से खजाना भर देने का सपना देख रहे हों, लेकिन सच यह है कि जज़िया कर के कारण देश की तरक्की का पहिया जाम हो जाने का डर है.

देश के नीति नियंताओं को नहीं पता कि इस देश का नौजवान कितनी मिन्नतें करके अपने अभिभावकों से एक मोटरसाइकिल हासिल करता है. जब उसी को चालान के नाम पर लूटने की कोशिश होती है तो भारी जुर्माना न भर पाने के कारण कितना दर्द सहना पड़ता है.

उन्हें यह भी नही पता कि अपने पास कोई दुपहिया न होने पर कोई ज़रूरतमंद कहीं आने जाने के लिए पड़ोसी और दोस्तों की मोटरसाइकिल मांग कर कैसे अपना काम चलाता है, लेकिन इस नियम के कारण अब वह भी संभव नहीं दिख रहा है. सरकार में शामिल लोग नहीं जानते कि परिवार के किसी सदस्य के बीमार पड़ने पर अस्पताल पहुंचने की जल्दी में लोग कैसे कागज और लाइसेंस भूल जाते हैं.

सरकार यह भी नहीं जानती कि देश का किसान अपने ट्रैक्टर के लिए डीजल लेने उसी पुरानी मोटरसाइकिल से जाता है, जिसके कागजात कोठरी में कहीं पड़े होते हैं. अपनी खेती में उगाई थोड़ी सी सब्जियां मोटरसाइकिल पर लादकर मंडी पहुंचाने वाला किसान डर रहा है.

सत्ताधारियों को नही पता कि एक साधारण नागरिक कैसे किश्तों पर गाड़ी लेकर किराए पर चलाता है, और बमुश्किल गुजारा करता है. कम आमदनी वाले निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की सेकेण्ड हैण्ड कार तो अब उनके लिए जी का जंजाल बन गई है. छोटे व्यापारी, दुकानदार, नौकरीपेशा लोग इस भारी भरकम टैक्स सिस्टम से हलकान हैं.

ऐसी स्थिति में तमाम प्रदेशों में ट्रांसपोर्ट और ट्रेवेल कारोबारियों ने हड़ताल और विरोध प्रदर्शन करते हुए चक्का जाम कर दिया है. आम जनता त्रस्त है और देश का विकास ठप होता जा रहा है.
देश की जनता अपनी समझ के अनुसार अपेक्षाकृत एक बेहतर सरकार चुनती है, ताकि उसके जीवन स्तर में थोड़ी बढ़ोत्तरी हो, उसकी आमदनी बढ़े, कर का बोझ कम हो और सुरक्षित वातावरण मिल सके.

दुर्भाग्यवश इसी जनता ने झूठ-फ़रेब के झांसे में आकर एक तानाशाही सरकार चुन ली है. कहते हैं कि अन्याय की उम्र ज़्यादा लम्बी नही होती, सरकार को ज्ञात होना चाहिए कि जो जनता किसी को आसमान में बिठा सकती है, वही उसे मिट्टी में भी मिला सकती है. हम देश के किसानों, छात्रों, नौजवानों, व्यापारियों के साथ प्रत्येक नागरिक से अपील करते हैं कि इस पीड़ा से गुज़रने वाला हर शख़्स अपनी आवाज़ बुलन्द करे और तानाशाही के विरुद्ध संघर्ष के लिए एकजुट हों.

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