जमीन जल चुकी है, आसमान बाकी है, किसानों का अभी इम्तहान बाकी है

मौसम की बेरुखी से किसानों की माथे पर चिंता की लकीरें खिंच दी है. विगत कई वर्षों से सूखा की मार झेल रहे इस वर्ष भी बरसात न होने से  किसानों प्रकृति की दोहरी मार झेलने पर विवश हैं. रसड़ा क्षेत्र स्थित नहरों में भी पानी नदारद है.

आपदा से निपटने की पूर्व तैयारी रखें सम्बन्धित विभाग

जिलाधिकारी गोविंद राजू एनएस ने कहा कि किसी भी प्रकार की आपदा से पहले उससे निपटने की तैयारियां रखें तो निश्चित ही कुछ राहत दिलाई जा सकती है.

किसान रिपोर्ट दर्ज कैसे करवाएंगे मंत्री जी

लगभग 80 प्रतिशत धान की फसले पानी न मिलने के चलते सूख गयी हैं. इसके चलते किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. ऐसे में प्रदेश के सिंचाई मन्त्री शिवपाल यादव द्वारा नहरों मे पानी न छोड़े जाने व सरकारी ट्यूबवेल चालू न होने से धान की फसल सूखने की शिकायत मिलने पर विभागीय इंजीनियरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की बात लोगो के गले से नीचे नहीं उतर रही है.

सूखा पड़ा तो भूखे मरना पड़ेगा, नहीं जुड़ाए खेत

पर्याप्त बारिश न होने के चलते सूखा पड़ने की आशंका से इलाकाई अन्नदाताओं की चिंता बढ़ती जा रही है. कारण, पानी के आभाव में धान की रोपाई के काम पर उल्टा असर पड़ रहा है. साधन संपन्न और नहरों के समीप वाले किसान तो अपने खेतों में धान की रोपाई का काम निर्बाध रूप से कर रहे हैं. भले ही नलकूप का पानी महंगा पड़ रहा है.