गांव-जवार के हाल ठीके बा, एने दू बेर आन्हीं-पानी आइल हा, कई ठांवा पथरो परल बा

पावं लागीं मलिकार! रउरा त एकदमे गुलर के फूल हो गइल बानी. ना कवनो पाती आ न कवनो सनेशा. पइसवा बैरी त रउरा के परदेसी बनाइए दिहलस, राउर पातीए पढ़ के संतोष क लीले, बाकिर जब उहो ढेर दिन हो जाला त मन मछरी अइसन मछिआये लागेला. अउरी कुछ होखे भा ना, बाकिर पाती पठावल मत छोड़ेब.