दुबहर, बलिया. परंपराओं को सहेजने के लिए किसी के पास फुर्सत ही नहीं है. युवाओं पर पश्चिमी परंपरा हावी हो चुकी है. रही- सही कसर आधुनिक लोक गायकों ने पूरी कर दी है.
जब हिन्दी के पक्ष में हिन्दी भाषी भारतीयों से अधिक तत्परता दक्षिण के गैर हिन्दी भाषी लोगों में थी.संभवतः इसकी वजह हिन्दी की वह लोकप्रियता और लोगों को जोडने की क्षमता थी, जो उन दिनों की एक बडी आवश्यकता थी. संभवतः यह आवश्यकता आज कम हो गयी है.
प्रगतिशील भोजपुरी समाज के सदस्यों की एक बैठक स्थानीय कृपाजल पब्लिक स्कूल के प्रांगण में हुई. इसमें वक्ताओं ने कहा कि भोजपुरी केवल मातृभाषा ही नहीं, इसमें उन्नत संस्कार भी पड़े हैं.