बलिया के नौरंगा गांव से अखिलेश ठाकुर की तस्वीरें यह बयां करने के लिए काफी हैं कि संकट की इस घड़ी में भी बलिया वाले बिंदास खुशी तलाश लेते हैं. संघर्ष कर खुद को स्थापित करना बलिया की माटी की फितरत है. नाव की जरूरत क्या है, यह अपना देसी जुगाड़ है न. इसे चला रही हैं नौरंगा की ओलंपिक मेडल विनर बेटियां. इ हे ह असली बलिया वाली बड़की पूड़ी….जेकरा के देखते दिल्ली बंबई वाला लोग के लार चुए लागेला. प्रधान जी, भी जरूरतमंदों को राहत सामग्री बांटने में मशगूल हैं.