बलिया में गंगा, घाघरा, तमसा के तेवर में नरमी आई है, हालांकि गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. वाराणसी में उफनाई गंगा अब घाटों की सीढ़ियों से उतर चुकी है, बाढ़ का कहर थमने के बाद ग्रामीण इलाकों में लोग बाग अपने घरों को संवारने में जुटे है. बाढ़ के पानी में हालांकि सैकड़ों कच्चे मकान जमीदोज हो चुके हैं, हजारों एकड़ कृषि योग्य जमीन पर खड़ी फसलें बाढ़ में बह गई हैं. खेतों में मेड़ें गुम हो चुकी है, कई इलाकों में मृत पशुओं के शव दुर्गंध फैला रहे हैं, जबकि गांव की पगडंडी दलदली होने के कारण उसमे चलना फिरना दूभर है.
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दुबेछपरा रिंग बांध टूटने से इलाके के लगभग दो दर्जन गांवों की 35 हजार की आबादी प्रभावित हुई है. इन ग्रामीणों के सर पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. जिला प्रशासन और स्वयं ग्रामीण बीते कई दिनों से बांध को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे. फिलवक्त दुबेछपरा ढाले पर भगदड़ के हालात हैं. हाईवे पर ट्रैफिक ठहर सा गया है. दुबे छपरा रिंग बांध प्राथमिक विद्यालय के सामने करीब 20 फीट की दूरी में टूटा है.